Budget 2025: 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए मोदी सरकार के बजट ने मिडिल क्लास के वोटरों को बहुत बड़ा सहारा दिया है। यह बजट सीधे तौर पर उन लाखों परिवारों को राहत देने वाला साबित हुआ है, जिनकी मासिक आमदनी 12 लाख रुपये तक है। दरअसल, 12 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा, और यही वजह है कि मिडिल क्लास इस बार के बजट से खुश नजर आ रहा है। अगर सारी की सारी इनकम सैलरी वाली है तो 75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा यानी साल में 12 लाख 75 हजार तक की इनकम पर कोई टैक्स ही नहीं देना होगा।
आगामी चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है बजट
बजट में मिडिल क्लास को मिली इस राहत से कई सियासी चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया है क्योंकि आने वाले दिनों में कई सूबों में चुनाव होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में मिडिल क्लास को सबसे ज्यादा राहत देने की कोशिश की है, और यह आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए यह एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है। बता दें कि 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तो केवल 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता था, लेकिन अब 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री कर दी गई है। मोदी सरकार के इस ऐलान से मिडिल क्लास को काफी राहत मिली है।
विपक्ष के लिए इस बजट ने पैदा किया बड़ा चैलेंज?
मोदी सरकार ने इस बजट से मिडिल क्लास के दिलों को छुआ है, जिसे बीजेपी का सबसे लॉयल वोटर माना जाता है। 2014 और 2019 में मिडिल क्लास ने मोदी को भारी समर्थन दिया था, लेकिन 2024 में कुछ नाराजगी भी देखने को मिली थी। 2% वोट की शिफ्टिंग ने बीजेपी को 303 से घटाकर 240 तक पहुंचा दिया था। वहीं, विपक्षी दलों के लिए इस बजट ने चुनौती पेश कर दी है, क्योंकि 12 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स फ्री करने के फैसले ने मिडिल क्लास से जुड़े उसके मुद्दों को थोड़ा कमजोर कर दिया है। यही वजह है कि सियासी गलियारों में एक फरवरी से एक बार फिर ‘मोदी लहर’ उठने की चर्चा होने लगी है।
बिहार और दिल्ली में चुनावों पर भी पड़ेगा असर
बजट में बिहार के लिए इस बार कई घोषणाएं की गई हैं जिनमें मखाना किसानों के लिए विशेष योजनाएं और ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण प्रमुख हैं। बिहार में विपक्षी नेता भले कहें कि बजट में उनके सूबे पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया लेकिन जनता वही मानेगी जो देख रही है। बिहार के लाखों सरकारी कर्मचारियों को टैक्स से पूरी छूट मिलना सूबे में बीजेपी और NDA के पक्ष में माहौल बना सकता है। वहीं, दिल्ली में जहां मिडिल क्लास वोटरों की संख्या अधिक है, वहां भी इस बजट का असर दिख सकता है। यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी इस बजट पर खामोश रही, जबकि बीजेपी ने बजट की जमकर तारीफ की।
विपक्ष ने बजट को चुनावी दांव क्यों करार दिया?
अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा और गौरव गोगोई जैसे विपक्षी नेता इस बजट को चुनावी दांव करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि बजट को केवल चुनावों के लिहाज से तैयार किया गया है, और इसमें कोई स्थायी विकास की दिशा नहीं दिखाई गई। अखिलेश यादव ने संसद में हंगामा करते हुए वॉकआउट भी किया, हालांकि I.N.D.I.A. गठबंधन के अन्य दलों ने उनका साथ नहीं दिया। विपक्ष द्वारा बजट को चुनावी दांव बताकर इस पर हमला करना स्वाभाविक है क्योंकि यह बजट दिल्ली और बिहार में उनकी संभावनाओं को क्षीण कर सकता है। कुल मिलाकर, इस बार के बजट ने मिडिल क्लास को वह खुशी दी है जिसका इंतजार वह सालों से कर रहा था, और चुनावी पंडितों का मानना है कि आगामी चुनावों में उसकी तरफ से भी मोदी को रिटर्न गिफ्ट मिलेगा।