Last Updated:February 12, 2025, 18:55 IST
अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार ग्रहण करने के साथ टैरिफ बढ़ाने संबंधी जो फैसले किए हैं, उससे दुनिया के सभी देश हड़बड़ा गए हैं. उनमें नाराजगी है. कुछ ने इसके जवाब में भी कदम उठाए हैं. जानते हैं कि क्या...और पढ़ें
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हाइलाइट्स
- ट्रंप ने चीन, कनाडा, मैक्सिको पर टैरिफ बढ़ाया
- टैरिफ से वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल
- भारत पर भी ट्रंप के टैरिफ का असर पड़ेगा
अमेरिका ने चीन, कनाडा और मैक्सिको से आयात पर भारी टैरिफ की घोषणा क्यों की है? नियम और शर्तें क्या हैं? क्यों ट्रंप के इससे जुडे़ फैसलों से दुनियाभर के देश हड़बड़ाए हुए हैं. क्या ट्रंप के फैसले मुक्त व्यापार समझौते का उल्लंघन नहीं है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही जोरदार तरीके से बेशक चुनावी वादे पूरा करने के लिए ताबड़तोड़ फैसले किए हैं. इन फैसलों को बेशक अमेरिका में सराहा जा रहा हो. लेकिन दुनिया में इससे हड़कंप मचा हुआ है. कनाडा से लेकर मैक्सिको और चीन तक तमाम देश उनके टैरिफ बढ़ाने के फैसलों पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
ट्रंप ने कार्यकारी आदेशों का उपयोग करके कनाडाई और मैक्सिकन वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगा दिया तो कनाडा से ऊर्जा उत्पादों और चीन से कई तरह की वस्तुओं पर 10% कर लगाया. इसने दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मचा दी, खासकर एशिया में. ट्रंप केवल यहीं नहीं रुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सभी इस्पात और एल्यूमीनियम आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की तो पूरी दुनिया स्टील निर्माता बिलबिला गए.
सवाल – क्या होता है टैरिफ, जो ट्रंप तमाम देशों पर लगा रहे हैं?
– टैरिफ अन्य देशों से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर है. जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं, वे सरकार को कर का भुगतान करती हैं.
आमतौर पर टैरिफ किसी उत्पाद के मूल्य का एक प्रतिशत होता है. चीनी सामान पर 10% टैरिफ का मतलब है कि 10 डॉलर मूल्य के उत्पाद पर 1 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा. कंपनियां टैरिफ की कुछ या पूरी लागत ग्राहकों पर डालने का विकल्प चुन सकती हैं. .ये टैरिफ 12 मार्च से प्रभावित हो जाएंगे.
सवाल – ट्रम्प टैरिफ का उपयोग क्यों कर रहे हैं?
– टैरिफ़ ट्रम्प की आर्थिक योजनाओं का एक केंद्रीय हिस्सा हैं. उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका के कुछ मुख्य व्यापार भागीदारों के खिलाफ़ आयात शुल्क लगाने का वादा किया था. उनका कहना है कि टैरिफ से अमेरिकी मेनुफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. नौकरियां सुरक्षित रहेंगी, साथ ही कर राजस्व में वृद्धि होगी. अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी.
सवाल – ट्रंप की इस टैरिफ की घोषणा के बाद क्या हुआ?
– बीजिंग ने कसम खाई है कि वो अमेरिका के खिलाफ “गलत व्यवहार” के लिए विश्व व्यापार संगठन में मुकदमा दायर करेगा. ओटावा और मैक्सिको सिटी ने जवाबी टैरिफ की योजना की घोषणा की. ट्रंप अपने रुख से पीछे हटते दिखाई दिए. मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम और कनाडाई अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद ट्रंप ने एक महीने के लिए टैरिफ कार्रवाई को “रोकने” पर सहमति जाहिर की. इन दोनों देशों को तो ट्रंप ने करीब एक महीने की मोहलत दे दी लेकिन चीनी वस्तुओं पर टैरिफ लागू है.
सवाल – ट्रंप के टैरिफ लागू करने के पीछे असल वजह क्या है?
– ट्रंप ने इसके जरिए विदेशों से आने वाले सामानों को सीमित करने के लिहाज से किया है ताकि अमेरिका में बन रहे सामानों को देश के बाजारों में प्रोत्साहन मिले. लेकिन टैरिफ लगाने से दूसरे देश जवाब में प्रतिशोधी टैरिफ लगाकर जवाब देंगे लेकिन एक तरह का युद्ध शुरू हो जाएगा. ये व्यापार युद्ध वैश्विक आर्थिक विकास संभावनाओं को काफी समय के लिए प्रभावित करेगा. ट्रंप जब वर्ष 2016 में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब भी उन्होंने ऐसा किया था. इससे पूरी दुनिया का व्यापार प्रभावित हुआ. काफी हद तक मंदी की स्थिति आ गई.
दिक्कत ये है कि ट्रंप जो टैरिफ लगाने जा रहे हैं, उसका असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा, क्योंकि अब वह तमाम सामानों पर टैरिफ बढ़ जाने से ज्यादा कीमत चुकाएगा. इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी.
सवाल – मैक्सिको और कनाडा ने ट्रंप के फैसले पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
– मैक्सिको और कनाडा के साथ ट्रंप केवल टैरिफ ही नहीं कई और स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं. व्हाइट हाउस के अनुसार, मैक्सिकन ड्रग तस्करी संगठनों का “मैक्सिको सरकार के साथ एक गठबंधन” है. वह मानता है मैक्सिको सरकार “खतरनाक नशीले पदार्थों के निर्माण और परिवहन में लगे कार्टेलों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान देती है. उसकी वजह से अमेरिका में बड़े पैमाने में ड्रग्स आता है और सैकड़ों हजारों अमेरिकी उससे प्रभावित होते हैं, मरते हैं.
ट्रंप प्रशासन ने ये भी कहा है कि “कनाडा में फेंटेनाइल और नाइटाज़ीन संश्लेषण प्रयोगशालाएं चलाने वाले मैक्सिकन कार्टेल की मौजूदगी बढ़ रही है, जिस पर कनाडा चुप है. ट्रंप प्रशासन मानता ये दोनों चीजें अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है. ट्रंप इस “खतरनाक कार्टेल” के असर को खत्म करना चाहते हैं. इसलिए ट्रंप उनको टैरिफ रणनीति से झुकाकर अमेरिका की चिंताओं के अनुसार चलाना चाहते हैं. हालांकि इस पर कनाडा और मैक्सिको ने जवाब टैरिफ लगाने की बात कही है.
सवाल – चीन टैरिफ वाले मामले में कहां खड़ा है? उसने बदले में क्या किया है?
– ट्रंप ने पहले चीन के सामानों पर 60 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी . उसे देखते हुए चीनी उत्पादों पर लगाया गया 10% टैरिफ अपेक्षाकृत बहुत कम है. फिर भी चीन ने अमेरिकी कोयला और तरलीकृत प्राकृतिक गैस, कच्चे तेल, कृषि मशीनरी और कुछ कारों के आयात पर 15% काउंटर-टैरिफ लगाने की घोषणा करने में देर नहीं लगाई – वो इसे 10 फरवरी से लागू करने वाला है.
साथ ही चीनी सरकार ने गूगल के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव जांच शुरू कर दी. कई शीर्ष अमेरिकी फैशन और बायोटेक कंपनियों को “अविश्वसनीय संस्थाओं” की सूची में डाल दिया. उच्च तकनीक वाले उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर सीमाएं तय कर दीं. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है, जो निकट भविष्य में ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में हो सकती है. चीन ने बार-बार अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध पर अपना विरोध जताया है.
सवाल – इससे अमेरिका और दुनिया दोनों पर क्या असर पड़ेगा. क्या दुनिया में महंगाई बढ़ेगी?
– चीन से आयातित 800 डॉलर से अधिक मूल्य के सभी सामान 10% टैरिफ के दायरे में आते हैं. अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि आयातित सामान बेचने वाली कंपनियां शुल्क की लागत को पूरा करने के लिए अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकती हैं. यदि मैक्सिकन और कनाडाई आयातों के विरुद्ध उपाय आगे बढ़ते हैं, तो उनके द्वारा उत्पादित वस्तुएं भी महंगी हो जाएंगी. इसका असर अप्रत्यक्ष तौर पर दुनिया के दूसरे देशों पर पड़ेगा. महंगाई बढ़ेगी.
कार निर्माण को बहुत ज़्यादा नुकसान हो सकता है. वाहन के पूर्ण रूप से तैयार होने से पहले वाहन के पुर्जे कई बार अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा की सीमाओं को पार करते हैं. अमेरिकी कार की कीमत 3,000 डॉलर तक बढ़ सकती है. कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि ट्रम्प के टैरिफ के नए दौर से व्यापक व्यापार युद्ध छिड़ सकता है, जिससे सामान्य तौर पर कीमतें बढ़ सकती हैं.
सवाल – अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों का असर भारत पर क्या पड़ने वाला है?
– भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसलों से निश्चित तौर पर प्रभावित होगा. ट्रंप प्रशासन पहले भी भारत से आयातित कुछ उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा चुका है. नए टैरिफ निर्णय व्यापक रूप से लागू किए जाते हैं, तो इसका असर भारतीय निर्यातकों और व्यापारिक संबंधों पर पड़ सकता है.
– अगर अमेरिका भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है.
– अमेरिका भारतीय आईटी सेवाओं और दवाओं का बड़ा बाजार है. टैरिफ बढ़ने से इन क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ सकता है.
– भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में तनाव बढ़ सकता है, जिससे नए समझौतों पर असर पड़ सकता है.
– अगर अमेरिका चीन पर अधिक टैरिफ लगाता है और भारत को छूट देता है, तो यह भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन अगर भारत भी टैरिफ बढ़ोतरी का शिकार होता है, तो निर्यातकों को नुकसान होगा.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
February 12, 2025, 18:55 IST