Medical Astrology वैदिक काल से ही आयुर्वेद चिकित्सा में ज्योतिष विज्ञान का बड़ा महत्व है. बीमारियों का एक कारण ग्रह-नक्षत्र पीड़ा भी है, यदि इलाज के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा के साथ -साथ ज्योतिष विज्ञान के हिसाब से ग्रह-नक्षत्र पीड़ा का उपाय किया जाए तो मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है .जिस भी जातक को कोई भी समस्या या बीमारी, शारीरिक पीड़ा, कष्ट आदि होता है तो उसके पीछे उस व्यक्ति की ग्रहदशा एवं नक्षत्र आदि की स्थिति होती है.
व्यक्ति का लग्नेश यदि 6, 8, 12 भाव में होता है तो ऐसा व्यक्ति जीवनभर स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान रहता है. साथ ही लग्नेश यदि नीच राशि स्थित हो तो भी वह व्यक्ति स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित रहता है.
जब भी किसी व्यक्ति को बीमारी होती है तो लोग अस्पताल के साथ साथ ज्योतिष के पास भी जाते हैं. और ज्योतिष द्वारा बताये गए ग्रहों की शांति के लिए जाप, दान एवं रत्न आदि भी पहनते हैं. ज्योतिष में गृह शांति के लिए प्रार्थना की जाती है और सार्वभौमिक शांति और व्यक्तिगत कल्याण के लिए शुभ भजन यानी स्वस्ति वाक्य / शांति मंत्र का जाप किया जाता है, इसे मंगलप्रद माना जाता है.इस उपाय से निश्चित ही रोगी को शीघ्र लाभ मिलता है.
रोग होने का समय: ज्योतिष का उपयोग करके ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करके रोग के होने का समय बताया जा सकता है और यह भी बताया जा सकता है कि रोग किस प्रकार का होगा, साथ ही उसके होने से पहले भी उसकी रोकथाम के लिए उपाय किये जाते हैं.
ग्रहों की युति से होती है बीमारियां:
बृहस्पति और बुध – टाइफाइड, मधुमेह
मंगल और राहु – कान की समस्याएं, सिरदर्द, बवासीर, रक्तस्राव
सूर्य और शुक्र – गठिया
चंद्र एवं मंगल – योनि के रोग
बुध और केतु – चेचक
बुध – स्किन की समस्या, हकलाहट
शुक्र – यौन सम्बंधित रोग
सूर्य – हड्डी की समस्या
इस तरह हर गृह से सम्बंधित रोग अलग अलग है, जब भी उस गृह की दशा आती है उससे सम्बंधित रोग पीड़ा इंसान को समस्या में डाल देती है, इलाज के लिए आयुर्वेद में अनेकों जड़ी बूटी हैं, यदि उन जड़ी बूटीयों का अध्ययन करेंगे तो हर जड़ी बूटी का सम्बन्ध उस गृह से निकलेगा जिस गृह से वह पीड़ा हुई है. जैसे सूर्य से सम्बंधित पीड़ा के लिए बेल की जड़ को कृतिका नक्षत्र में ग्रहण करने से उसकी पीड़ा कम हो जाती है.
Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 15:42 IST