Last Updated:January 20, 2025, 22:18 IST
Public Opinion: देहरादून में शहरीकरण के चलते लगातार पेड़ काटे जा रहे थे. राजधानी की जनता ने महसूस किया कि दिल्ली और गाजियाबाद की तरह देहरादून गर्म होता जा रहा है.
नगर निगम चुनाव के लिए 23 जनवरी को वोटिंग होगी.
देहरादून. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर किसी समय में अपनी खूबसूरत वादियों के साथ-साथ अपनी ठंडी हवा के लिए दुनियाभर में मशहूर था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि यहां का तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंच रहा है. दून में कई योजनाओं के तहत पेड़ काटे गए. कई बार जन-आंदोलनों के चलते पेड़ों का कटान भी रोका गया है. इन्हीं आंदोलनों से जुड़े पर्यावरणविद् और कई संस्थाएं मिलकर एक और आंदोलन चला रही हैं, जिसके तहत वे देहरादून के निगम चुनाव से पहले लोगों को जागरुक कर रहे हैं. इसी के साथ ही वे मेयर और पार्षद प्रत्याशियों से संवाद भी कर रहे हैं ताकि देहरादून का अगला मेयर और जिम्मेदार लोग राजधानी के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान दे सकें. इन लोगों की कुछ मांगें हैं, जैसे- ये लोग मोहल्ला सभा और हर वार्ड में बच्चों के लिए पार्क बनाने की बात कर रहे हैं.
उत्तराखंड के प्रतिष्ठित पर्यावरणविद् डॉ रवि चोपड़ा ने लोकल 18 से कहा कि उत्तराखंड का इंसानियत मंच, सिटीजन फॉर ग्रीन दून, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, गढ़वाल सभा, मेड, चेतना आंदोलन समेत कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर वे सभी अलग-अलग टीमें बनाकर देहरादून के अलग-अलग वार्डों में उम्मीदवारों और मतदाताओं से संवाद कर रहे हैं और जन संगठनों की ओर से जारी की गई अपील लोगों को वितरित कर रहे हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए रैली भी निकाली गई है.
देहरादून के चार अहम मुद्दे
उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने लोकल 18 से कहा कि निकाय चुनाव से पहले तमाम संगठनों और पर्यावरणविदों ने मिलकर सिटीजन फोरम के ग्रीन एजेंडे तैयार किए हैं. इसमें हम देहरादून के चार अहम मुद्दों को लेकर उम्मीदवारों और आम नागरिकों के बीच जा रहे हैं. इसमें पेड़ों का कटान रोकना, नशे पर लगाम लगाना, बच्चों और बुजुर्गों के लिए हर वार्ड में पार्क बनाना और मोहल्ला सभा बनाने जैसे मुद्दों को हम उम्मीदवारों के सामने रख रहे हैं ताकि उनके जीतने के बाद उनके वादों को याद दिलवाया जा सके. उन्होंने कहा कि बच्चों के पास खेलने के लिए पार्क नहीं होंगे, तो उनके पास मोबाइल और टीवी में घुसे रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.
दिल्ली और गाजियाबाद की तरह गर्म होता देहरादून
पर्यावरणविद् हिमांशु अरोड़ा ने लोकल 18 से कहा कि देहरादून में शहरीकरण के चलते लगातार पेड़ काटे जा रहे थे. यहां के नागरिकों ने महसूस किया कि देहरादून, दिल्ली और गाजियाबाद की तरह गर्म होता जा रहा है. देहरादून का तापमान कभी भी 40 के ऊपर नहीं गया था लेकिन जब ऐसा हुआ, तो लोग सड़कों पर उतरे और आंदोलित हुए. उन्होंने कहा कि जो भी नीतियां और परियोजनाएं धरातल पर उतारी जाती हैं, उसमें जनता की राय और स्थिति का बोध होना चाहिए. अधिकारी उन्हें बनाते हैं और अलग-अलग स्तरों पर उन्हें लागू करवाया जाता है लेकिन अगर मोहल्ला सभाएं बनाई जाती हैं, तो हर वार्ड की समस्याओं और जनहित के मुद्दों पर जिम्मेदारों से वार्ता करने के साथी उसपर काम किया जा सकता है. देहरादून कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है क्योंकि यहां नगर निगम द्वारा अधिकांश क्षेत्रों में टाइल्स लगाई गई हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि न ही पानी को रिसने की जगह मिल पाती है और हीट आईलैंड इफेक्ट भी देखने के लिए मिलता है, जिसके चलते तापमान इतना ज्यादा बना रहता है.
देहरादून में काटे गए 40 हजार पेड़
एनवायरमेंट एक्टिविस्ट त्रिलोचन भट्ट ने लोकल 18 से कहा कि संविधान के 74वें संशोधन के बाद अनुसूची 12 के तहत नगर निकायों में हरियाली और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ ही जन स्वास्थ्य पर कार्य किया जाए, इसलिए हम अपने आने वाले जिम्मेदारों से यही उम्मीद करते हैं कि वे इसके तहत काम करें. दून निवासी डॉ बृजमोहन शर्मा ने लोकल 18 से कहा कि देहरादून शहर में अब तक लगभग 40 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं और जो योजनाएं अभी सरकार के पास हैं, उन्हें लागू करने पर काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या एक लाख होने का अनुमान है. ऐसे में हमें इस बात को गंभीरता से सोचना चाहिए कि एक लाख पेड़ों के कटने के बाद हमारे पास विकल्प क्या हैं और उसके बाद हालात कैसे होंगे.
Location :
Dehradun,Uttarakhand
First Published :
January 20, 2025, 22:18 IST
Public Opinion: कंक्रीट का जंगल, दिल्ली-गाजियाबाद की तरह गर्म होता देहरादून