डोनाल्ड ट्रंप 2.0 : खुद की राख से फिर से खड़े 'पॉलिटिकल फीनिक्स' की कहानी

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वाशिंगटन:

फीनिक्स. एक काल्पनिक पक्षी, जो अपने जीवनचक्र के आखिरी पड़ाव पर जलकर मरता है और अपने ही राख से फिर जिंदा खड़ा होता है. अमेरिका की राजनीति में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कहानी भी उसी फीनिक्स की कहानी सी लगती है. 

4 साल पहले करारी चुनावी हार, राष्ट्रपति पद पर रहते दो महाभियोग, गंभीर अपराधों के लिए दोषी करार पहला पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बनना और हत्या की दो नाकाम कोशिशें… इन सबके बीच जिस ट्रंप को राजनीतिक रूप से खत्म समझा गया था, वो फिर वापस आ गए हैं. अमेरिका के उसी राष्ट्रपति की कुर्सी पर वापसी. पहले से ज्यादा मजबूत. यह है ट्रंप ‘द सर्वाइवर' की कहानी.

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“हम वापस आएंगे”...
20 जनवरी 2021. आज से ठीक चार साल पहले. जो बाइडेन के हाथों अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद दिन था इनॉग्रेशन डे का. यानी जिस दिन बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. उस दिन खार खाए डोनाल्ड ट्रंप ने ज्वाइंट बेस एंड्रयूज में मामूली विदाई समारोह देखी और वाशिंगटन छोड़कर चले गए. उस हारे हुए राष्ट्रपति ने फ्लोरिडा के लिए फ्लाइट में चढ़ने से पहले एक बात कही थी. "हम किसी न किसी रूप में वापस आएंगे."

उस वक्त शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ट्रंप भविष्य बता रहे थे. उस समय तो ऐसा लगा कि राष्ट्रपति की रेस वाली राजनीति में उनका समय खत्म हो गया है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप गुमनामी में खोने वालों में से नहीं थे.

1892 में ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद ट्रंप अमेरिकी इतिहास में ऐसे दूसरे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने दो बार राष्ट्रपति बनने के बीच एक चुनावी हार भी देखी है. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हारने वाला राष्ट्रपति आमतौर पर पिछड़ जाता है, लेकिन ट्रंप के साथ ऐसा नहीं है.

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2020 की शिकस्त, दंगे और पार्टी में खलनायक बनना
2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद जब 2021 में ट्रंप ने व्हाइट हाउस छोड़ा, तो वो रिपब्लिकन पार्टी के बीच ऐसे नेता थे जिससे सबने दूरी बना ली. खुद रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने यूएस कैपिटल में 6 जनवरी के दंगों के लिए उन पर महाभियोग चलाने के लिए वोट डाला था. हालांकि, बाद में ट्रंप को सीनेट ने राहत दे दी.

मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ट्रंप ने नवंबर 2022 में ही राष्ट्रपति पद की दावेदारी की घोषणा की थी. लेकिन उन्होंने मार्च 2023 तक कोई रैली नहीं की. और कुछ ही समय बाद, उनपर न्यूयॉर्क हश मनी मामले में पहला अभियोग दायर हुआ. उसी साल, उन पर तीन और मामलों में आरोप लगाए गए. 

राष्ट्रपति चुनाव में केवल 1 साल बचे थे और नैरेटिव ट्रंप के पक्ष में एकदम नहीं था.

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पहला अमेरिकी राष्ट्रपति जो अपराध के लिए दोषी करार है

कुल मिलाकर, ट्रंप पर चार बार आपराधिक आरोप लगाए गए. इनमें से एक में उन्हें दोषी ठहराया गया. 2024 के चुनावी कैंपेन के दौरान ही ट्रंप को एक एडल्ट स्टार को चुप रहने के बदले छुपाकर पैसे देने (हश मनी) से जुड़े मामले में दोषी पाया गया. ट्रंप 34 फैलोनी काउंट यानी अपराध के 34 प्वाइंट पर दोषी करार दिए गए.

इसके साथ ही ट्रंप को नया टैग मिल गया- पहले ऐसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो अपराध के लिए दोषी करार दिए गए हों. अमेरिका का चुनावी इतिहास गवाही दे रहा था कि इतने सारे कानूनी बोझ के साथ ट्रंप का दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतना लगभग असंभव है. 

लेकिन अपनी कानूनी परेशानियों के बावजूद, ट्रंप व्हाइट हाउस की रेस के लिए पूरे साल (2024) सुपर एक्टिव रहे. एक्जिट पोल में ट्रंप ने ऐसा टक्कर दिया कि मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चुनाव से 100 दिन पहले मैदान छोड़ दिया. मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के हाथ में डेमोक्रेटिक पार्टी का टिकट आ गया. 

81 साल के बाइडेन की देश को चला पाने की शारीरिक क्षमता पर खूब सवाल उठें. ऐसे में एक सवाल ट्रंप की उम्र को लेकर भी था क्योंकि वो भी 78 साल के हो गए थे.

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दो बार हत्या का प्रयास

ट्रंप पर दो बार जानलेवा हमला भी हुआ. जुलाई 2024 में पेंसिल्वेनिया में जब ट्रंप चुनावी रैली में भाषण दे रहे थे तब उनपर गोली चली. गोली उनके दाहिने कान को लहूलुहान करती निकल गई. हत्या के इस प्रयास में उनके एक समर्थक की मौत भी हो गई थी. लेकिन इस हमले के बाद ट्रंप की जो तस्वीर सामने आई वो पूरे राष्ट्रपति चुनाव की धूरी बन गई. कान से खून टपक रहा था और ट्रंप मुट्ठी भींचे अपने समर्थकों के सामने खड़े थे. मानो किसी भी कीमत पर झुकने से इंकार कर रहे थे. 

इसके 2 दिन बाद, रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में ट्रंप का स्वागत हीरो जैसा किया गया. वह कान पर पट्टी बांधकर और हवा में मुट्ठी उठाकर स्टेज पर आए. ट्रंप का तेवर पहले से ज्यादा पैना था.

चुनाव वाली तारीख से पहले के 10 हफ्तों में अमेरिका की राजनीति में उथल-पुथल मची रही. इस दौरान ट्रंप ने कमला हैरिस और अपने सभी राजनीतिक विरोधियों पर व्यक्तिगत हमले तेज रखे.

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और फिर नतीजे आए

एकतरफा चुनावी नतीजों में ट्रंप ने न केवल राष्ट्रपति पद वापस जीत लिया, बल्कि कम से कम अगले दो सालों तक कांग्रेस पर रिपब्लिकन पार्टी का ही कंट्रोल होगा. 

फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए डोनाल्ड ट्रंप को 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की जरूरत थी. ट्रंप ने 312 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीत लिए. वहीं डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस को केवल 226 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिले.

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के पद की शपथ लेते हुए ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका का स्वर्ण युग अभी शुरू होता है. इस दिन से हमारा देश फलेगा-फूलेगा और सम्मानित होगा.

ट्रंप की यह बात कितनी सही साबित होती है, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन एक चीज तो साफ है- ट्रंप ‘द सर्वाइवर' इज बैक.

4 साल पहले जिस ट्रंप ने कहा था कि "हम वापस आएंगे," वो ठीक 4 साल बाद उसी राष्ट्रपति की कुर्सी पर फिर से बैठ चुके हैं. खुद की राख से फिर से खड़ा पॉलिटिकल फीनिक्स.

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