रिपोर्ट- मो सरफराज आलम
सहरसा: बिहार के कई जिलों में बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि लोगों का घर और सामान बाढ़ में डूब गया और बह गया. अपनी जान बचाने के लिए लोग ऊंची जगहों पर ठिकाना बनाए हुए हैं. लंबे समय से बाढ़ से जूझ रहे लोगों के पास खाने को खाना और पहनने को कपड़े नही हैं. कुछ ऐसा ही हाल सहरसा में बाढ़ पीड़ितों का है. यहां के कई घर कोसी नदी में डूब गए और लोग बेघर हो गए. बाढ़ पीड़ित लोग अपना दिन चरिया कोसी बांध पर बिता रहे हैं. सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड के कोसी बांध के सड़क किनारे कई ऐसे लोग हैं जो प्लास्टिक के सहारे अपना दिन गुजार रहे हैं.
लोकल 18 की टीम ने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की तो उन लोगों ने जो बताया वह सुन आप भी दंग रह जाएंगे. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उनके पास अब कुछ नहीं बचा है. यहां तक की पहनने को कपड़ा तक नहीं है. कोई कपड़ा देकर चला जाता है तो वही पहनकर दिन गुजार रहे हैं. लोगों के पास खाने को अनाज नहीं है. किसी तरह वह लोग जान बचाकर कोसी बांध पर आए हैं. मवेशियों को सड़क किनारे रखे हैं. खाने के लिए अनाज नहीं है. सरकार की तरफ से सिर्फ एक प्लास्टिक दिया गया है और इस प्लास्टिक के सहारे दिन गुजार रहे हैं.
बाढ़ पीड़ितों को अपने घर की चिंता सता रही है कि अब वह घर कैसे बनाएंगे और फिर परिवार में बाढ़ से पहले जैसी खुशियां कब लौटेंगी. बाढ़ से कई लोगों का घर जहां पूरी तरह डूब गया वहीं कई घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
केदली पंचायत से आए बुलंती देवी सहित अन्य इलाके के लोग बताते हैं कि केदली पंचायत पूरी तरह से बाढ़ से प्रभावित है. किसी तरह जान बचाकर उस इलाके से बाहर निकले और वहां के लोग कोसी बांध पर अपना दिन गुजार रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उनका सब कुछ खत्म हो गया और वह बर्बाद हो गए हैं. अब रहने को घर नहीं है. बाढ़ से घर टूट चुका है. विकराल बाढ़ में कई मवेशी की मौत भी हो गई.
लोगों के लिए सबसे दुख की बात यह है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकार की तरफ से उन्हें एक गैस सिलेंडर तक नहीं मिला और ना ही कोई सुविधा मिली. महिलाएं दूसरों से मिली हुई साड़ियां पहन रही हैं क्योंकि घर में रखा उनका कपड़ा बाढ़ से कोसी नदी में बह गया.
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FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 11:58 IST