Sheep farming: सबसे उत्तम है भेड़ की ये तीन नस्लें, देती है मोटा मुनाफा

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भेड़े

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काजल मनोहर/जयपुर. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन और खेती आजीविका का मुख्य साधन है. कुछ पशुपालक पड़े स्तर पर गाय, भैंस, बकरी और भेड़ पालकर लाखों रुपए की कमी करते हैं, लेकिन घुमंतू जातीय प्रमुख तौर पर भेड़ पालकर अपना जीवन यापन करती हैं. भेड़ पालन इनकी आजीविका का प्रमुख साधन होता है.

प्रमुख तौर पर पशुपालक इनका दूध और ऊन बेचते हैं. एक तरीके से भेड़ ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की तरह है. पशुपालक मोहन सिंह ढाका ने लोकल 18 को बताया कि भेड़ को ग्रामीण लोग खेत बाड़, चारागाह पर आसानी से चराते नजर आते हैं. भेड़ को भी चरना पसंद होता है. यह फलीदार पौधे और फूल वाली घास खाना पसंद करते है. दूध उत्पादन के लिए इसे मक्की भी खिलाया जाता है.

ग्रामीण क्षेत्रों में त्योहारों में भेड़ की होती हैं पूजा
ग्रामीण अंचल में भेड़ पालन खास महत्व वाला उद्योग माना जाता है. भेड़ पालन गांव में प्रमुख आय का स्रोत वाला उद्योग होता है. भेड़ से प्राप्त उन से पारंपरिक कपड़े का भी निर्माण होता है जो हस्तकला को अच्छा नमूना माना जाता है. गांवो की संस्कृति और त्योहारों में भेड़ की पूजा का महत्व है. भेड़ को ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. यह ग्रामीण जीवन के लिए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण पशु होता है.

सबसे उत्तम है ये तीन भेड़ की नस्लें
मेरिनो: ये भेड़ विपरीत जलवायु में जीवन यापन कर लेती है. मेरिनो नस्ल के नर भेड़ में घुमावदार सींग होते हैं तो वहीं मादा भेड़ों में सींग नहीं होते हैं. अधिक ऊन उत्पादन के लिए ये सबसे बेहतर नस्ल मानी जाती है. इस नस्ल के एक भेड़ से प्रतिवर्ष 5 से 9 किलोग्राम ऊन प्राप्त होता है. राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों में यह भेड़ पाई जाती है.

चौकला: यह भेड़ राजस्थान के जयपुर ग्रामीण, चुरू, झुंझनू और सीकर जिलों में ये भेड़ बड़े पैमाने पर पाई जाती है. सफेद रंग की इस भेड़ के चेहरे का रंग भूरा या काला होता है. यह भेड़ सींग रहित होती है. इस नस्ल की मादा का भार 22 से 32 किलोग्राम और नर का भार 30 से 40 किलोग्राम होता है. इस भेड़ से प्रतिवर्ष 1.5 से 2.5 किलोग्राम ऊन प्राप्त होता है.

अविवस्त्र: ये भेड़ मेरिनो तथा राजस्थान की चौकला नस्ल की भेड़ के वर्ण संकरण से विकसित की गई है. इस भेड़ से 2 से 4 किलोग्राम ऊन प्रति भेड़ प्राप्त होती है. इनका वजन 6 माह की उम्र पर 12 किलो और एक वर्ष की उम्र पर 23 किलो तक पहुंच जाता है.

Tags: Jaipur news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 12, 2024, 12:57 IST

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