वाद्ययंत्र बजाते कलाकार रामआसरे अहिरवार
Chhatarpur News: राम आसरे, जो अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं, संगीत के प्रति अपने जुनून से प्रेरित हैं. वे तमूरा और सा ...अधिक पढ़ें
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : November 19, 2024, 22:44 IST
छतरपुर: जिले के छोटे से गांव हनुखेड़ा गांव के रहने वाले राम आसरे जिनकी उम्र लगभग 45 साल है. हालांकि उनके आंखों की रोशनी नहीं हैं. लेकिन इनमें संगीत के प्रति जुनून ऐसा है कि आधी रात को कहीं बुलाया जाता है तो अपना तमूरा और सारंगी लेकर चल देते हैं. ये हर तरह का संगीत निकालने में पारंगत हैं चाहे फिर बुंदेली लोकगीत हों या भगवान की ख्याली हो या गारी हो या दादरा और सोहर ही क्यों न हो.
राम आसरे अहिरवार लोकल 18 से बातचीत में कहते हैं कि मैं बचपन से ही ये तमूरा वाद्ययंत्र बजा रहा हूं. कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की है इसके बाद पिताजी का देहांत हो गया तो फिर पढ़ाई छोड़ दी और मजदूरी करने लगा. इसके बाद मां भी छोड़ कर चली गईं. मां-बाप खोने के बाद पूरी तरह से भगवान के भजन और बुंदेली लोकगीत अपने तमूरा से बजाकर गाने लगा.
मिट्टी के चूल्हे पर बनाते हैं भोजन
परिवार के नाम पर एक बहन है जो अपने ससुराल में रहती है और मैं इस घर में अकेला ही रहता हूं. खुद ही घर का काम करता हूं, भोजन बनाने से लेकर घर की साफ-सफाई भी करता हूं. ये सब काम अंदाजे से ही करता हूं. लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत खाना बनाने में आती है. मिट्टी के चूल्हे में कई बार आग जलाते वक्त जल भी जाता हूं. उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला क्योंकि पति-पत्नी को ही इस योजना का लाभ मिलता है. हालांकि, गैस-सिलेंडर से खतरा ज्यादा है. इसलिए मिट्टी का चूल्हा ही अच्छा है. धीरे-धीरे अब अंदाजे से घर के सभी काम कर लेता हूं.
ऐसे चलता है घर खर्च
मुझे गा-बजाकर जो मिल जाता है, यही मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद है और इसी से खर्च चल जाता है. हालांकि गांव से बाहर शहर में भी मुझे बुलाने लगे हैं. लोगों को मेरे लोकगीत पसंद आते हैं. हालांकि, वृद्धा पेंशन योजना का लाभ मिलता है.
हालात बिगड़े तो आंखों ने साथ छोड़ा
राम आसरे कहते हैं कि आंखों की रोशनी साल 2014 के बाद पूरी तरह से चली गई. इससे पहले आंखों से थोड़ा बहुत दिखाई भी देता था. मैं बचपन से अंधा नहीं हूं. लेकिन घर के हालात ऐसे बिगड़ते गए कि खान-पान बिगड़ता चला गया और मानसिक तनाव बढ़ता गया जिसकी वज़ह से आंखों की रोशनी भी धीरे-धीरे कम होती चली गई. अब इन आंखों से कुछ नहीं दिखाई देता है.
बुंदेली लोकगीत के साथ भगवान के भजन भी गाते हैं
राम आसरे बताते हैं कि तमूरा बजाने के साथ बुंदेली लोकगीत गाने में पारंगत हूं. तमूरा के साथ ही सारंगी से भी धुन निकालता हूं. भगवान के भजन के तौर पर ख्याली और गारी भी तमूरा बजाकर लोगों को सुनाता हूं. ख्याल और गारी जिसमें राधा-कृष्ण का संवाद होता है. इसके अलावा घरों में बच्चों के जन्मोत्सव कार्यक्रम में गाया जाने वाला दादरा और सोहर भी गाता हूं.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 22:44 IST