अगर पशुओं पर किया जुल्म तो जाना पड़ सकता है जेल, जानिए कैसे ?

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Agency:News18 Himachal Pradesh

Last Updated:February 10, 2025, 19:24 IST

पशुओं पर अत्याचार करना कानूनी अपराध है, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है. सरकार ने पशु हिंसा रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं. किसी भी व्यक्ति द्वारा पशुओं पर जुल्म करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती ह...और पढ़ें

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बच्चों

बच्चों को जागरूक करते हुए

हाइलाइट्स

  • पशुओं पर अत्याचार करना कानूनन अपराध है.
  • सरकार ने पशु हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून बनाए हैं.
  • पशुओं पर जुल्म करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.

धर्मशाला: देशभर में 14 जनवरी से 13 फरवरी तक एनिमल हसबेंडरी और एनिमल वेलफेयर को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत लोगों को पशुओं की देखभाल और उनके कल्याण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही हैं. इसी कड़ी में जिला कांगड़ा के फतेहपुर उपमंडल में स्थित लिटिल एंजेल्स मॉडल हाई स्कूल, लोहारा में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.

इसमें पशु चिकित्सा अधिकारी बी.ओ फतेहपुर विकास सान्याल ने स्कूली बच्चों को पशुओं की देखभाल, उनके अधिकारों और सुरक्षा कानूनों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पशु हिंसा रोकने के लिए सरकार ने कई सख्त कानून बनाए हैं. यदि कोई व्यक्ति पालतू या बेसहारा पशुओं के साथ हिंसक व्यवहार करता है या उन्हें नुकसान पहुंचाता है तो यह कानूनी अपराध होगा. ऐसे व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इस अभियान का उद्देश्य पशु अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण को सुनिश्चित करना है.

पशुओं की होनी चाहिए नियमित जांच
उन्होंने पशुओं की उचित देखभाल और नियमित जांच करने के लिए अनिवार्य कहा है. इससे वे स्वस्थ रहें और किसी भी संक्रामक बीमारी से उन्हें बचा जा सके. उन्होंने समझाया कि रेबीज और टीबी जैसी बीमारियां संक्रमित पशुओं से इंसानों में भी फैल सकती हैं. रेबीज के मामले में बचाव लगभग असंभव होता है, जबकि टीबी होने पर पशु की सेहत लगातार गिरती जाती है. इसलिए समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है.

पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए लगाए जाएं टीके
उन्होंने बताया कि छह महीने से कम उम्र के पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए विशेष टीके लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए बहुत कम किसान आगे आते हैं. संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से बचने और समय पर उपचार कराने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी संक्रमित पशु का दूध निकाला जा रहा हो, तो उसे कम से कम 10 मिनट तक उबालना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो सकें.

इसके अलावा, उन्होंने बच्चों को आवारा कुत्तों, बिल्लियों और नेवलों के काटने पर तुरंत घाव को साबुन से धोने और फिर चिकित्सकीय सहायता लेने की सलाह दी, ताकि किसी गंभीर संक्रमण या बीमारी का खतरा टाला जा सके.

Location :

Kangra,Himachal Pradesh

First Published :

February 10, 2025, 19:24 IST

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