अदाणी समूह की फाइलिंग से हुआ साफ, राहुल गांधी और खरगे कर रहे भ्रम फैलाने की राजनीति

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नई दिल्ली:

अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. (एजीईएल) ने अपनी फाइलिंग में बता दिया है कि अदाणी समूह के अधिकारियों पर जो अमेरिका विदेश भ्रष्टाचार कानून (एफसीपीए) के तहत रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जो आरोप थे वे पूरी तरह गलत हैं. साथ ही कंपनी की ओर से बताया गया है कि कंपनी पर इस प्रकार का कोई आरोप अमेरिका  के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने नहीं लगाया है. अदाणी ग्रीन एनर्जी ने स्पष्ट किया है कि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और विनीत जैन पर अमेरिकी विदेश भ्रष्टाचार कानून के तहत रिश्वतखोरी का आरोप नहीं लगाया गया है. अमेरिकी न्याय विभाग के आरोप सिक्योरिटीज और वायर फ्रॉड से संबंधित हैं, न कि रिश्वतखोरी या न्याय में बाधा डालने से.

कंपनी ने जोर देकर कहा कि केवल Azure Power के अधिकारियों और एक कनाडाई निवेशक पर ही अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं.

अनर्गल आरोप लगाए जा रहे है

इससे यह साफ हो जाता है कि विपक्ष के नेताओं द्वारा अदाणी समूह पर लगातार अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं. लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के तमाम आरोप झूठे हैं. साथ ही पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के द्वारा लगाए गए आरोप भी गलत निकले हैं. इन आरोपों के गलत साबित होने के बाद यह साफ हो रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है. इस भ्रम के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को निशाने पर लेकर ओछी राजनीति की जा रही है.

उद्योगपतियों पर आरोप गलत परंपरा

कई जानकारों का कहना है कि देश में उद्योगपतियों के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाकर देश की प्रगति में बाधा डालने का प्रयास भी किया जा रहा है. 

बता दें कि एजीईएल ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा है कि विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में अदाणी ग्रुप के अधिकारियों - गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और वरिष्ठ निदेशक विनीत जैन पर अमेरिकी विदेश भ्रष्टाचार कानून (एफसीपीए) के तहत रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जो आरोप बताए गए हैं वे पूरी तरह से गलत हैं. 

बीजेपी कांग्रेस के इस रवैये पर उठा चुकी है सवाल 

बीजेपी ने पहले ही कहा है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी केस में नामित चारों राज्यों में उनकी सरकार नहीं थी. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और तमिलनाडु में उसकी सहयोगी पार्टी की सरकार थी. पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी की छवि खराब कर रहे हैं. उन्होंने 2019 में राफेल मुद्दा उठाया था, लेकिन बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी. 

राहुल ने लगाए थे आरोप

बता दें कि राहुल गांधी ने अमेरिका में अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी पर लगे करप्शन के आरोपों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसमें उन्होंने कहा था कि अदाणी जी 2 हजार करोड़ रुपए का स्कैम कर रहे हैं और बाहर घूम रहे हैं, क्योंकि पीएम मोदी उन्हें प्रोटेक्ट कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि  गौतम अदाणी ने अमेरिका में क्राइम किया है, लेकिन भारत में उन पर कुछ नहीं हो रहा है. राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि सेबी अदाणी को बचा रही है. साथ ही उन्होंने कहा था कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी बुच पर केस होना चाहिए.

राहुल के बाद खरगे भी लगे भ्रम फैलाने

राहुल गांधी ने ये फर्जी आरोप तो जनता को भ्रम में डालने के लिए जारी ही थे. लेकिन अब संसद का सत्र आरंभ हो गया है और ऐसे में कांग्रेस  पार्टी ने संसद में भी इस फर्जी मुद्दे को उठाने की कोशिश की है. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अदाणी समूह के इस मामले में केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया है. खरगे ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही नियम 267 के तहत अदाणी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने इस मामले की जांच के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी गठित करने की मांग की है. 

खरगे का आरोप है कि विपक्षी दल के सदस्यों ने जब यह मामला उठाया तो सदन स्थगित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि अदाणी समूह पर करप्शन, ब्राइबरी और फाइनेंशियल इररेगुलेरिटीज के गंभीर आरोप हैं.

गौरतलब है कि अमेरिका में आरोप लगाया गया था कि ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर राज्य में बिजली कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी.

शिवसेना ने मामले पर क्या कहा

इस मामले में शिवसेना की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है. पार्टी प्रवक्ता मनीषा कायंदे का कहना है कि राहुल गांधी और उनकी गैंग उद्योगपतियों को टारगेट कर रहे हैं.  ये सब बस मोदी जी को नीचा दिखाने के लिए और चिढ़ाने के लिए करते हैं.

इस मामले पर क्या कहते हैं जानकार

यह भी बताना जरूरी हो जाता है कि कानून की दुनिया के कई जानकारों को लगता है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ लगे इन आरोपों में ज्यादा दम नहीं है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये अदाणी ग्रुप और भारत की ग्रोथ स्टोरी के खिलाफ चल रही मुहिम की ही यह एक कड़ी हो सकती है. इसमें अमेरिका और यहां भारत में बैठे राजनीतिक-गैर राजनीतिक लोग शामिल हैं.

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी की राय

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी का कहना है कि ये इंडिया ग्रोथ स्टोरी को रोकने के लिए साजिश है. इसमें कोई शक नहीं  है. इसका टाइमिंग आप देखते हैं. अदाणी के खिलाफ जो न्यूज आती है हिंडनबर्ग के द्वारा, हमेशा उसके बाद अदाणी ग्रुप का लॉस होता ही है.

पूर्व विदेश सचिव का बयान

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने तो भारत की भूमि पर भारतीय नागरिक द्वारा कथित रूप से की गई रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिकी अदालत द्वारा आरोप तय किए जाने को गलत बताया है. सिब्बल ने अमेरिकी अदालती कदम पर सवाल उठाए हैं.  उनका कहना है कि यह अमेरिका द्वारा खुद के न्यायिक अधिकारक्षेत्र का अतिक्रमण है. कंवल सिब्बल ने अमेरिकी कार्रवाई को 'कतई मनमानी' और 'अमेरिका की ताकत का घटिया इस्तेमाल' करार दिया है. पूर्व विदेश सचिव सिब्बल का मानना है कि अगर अमेरिका के पास भारत में रिश्वतखोरी की कोई जानकारी थी, तो उन्हें भारतीय कानूनी सिस्टम से संपर्क कर जानकारी देनी चाहिए थी, और किसी भारतीय नागरिक पर एकतरफा मुकदमा नहीं चलाना चाहिए था.

अदाणी पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित : ब्रह्मा चेलानी

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी का मानना है कि बिना भारत को विश्वास में लिए भारत के उद्योगपति के खिलाफ आरोप लगाना गलत है. भारत और अमेरिका रणनीतिक साझेदार रहे हैं. इस प्रकार के आरोपों से रिश्ते खराब होते हैं. चेलानी का मानना है कि अदाणी पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.

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