हल्दी की खेती
Turmeric Farming: अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है. ये सच कर दिखाया है चित्रकूट जिले के एक किसान ने जिन्होंने पथरीली जमीन पर खेती की शुरुआत की. बदले में अब किसान अच्छा मुनाफा कमा रहा है.
पथरीली जमीन में हल्दी की खेती
कहानी है चित्रकूट जिले के पाठा क्षेत्र के केकरामार गांव के किसान राम सिंह मौर्य की. राम सिंह ने पाठा क्षेत्र की पथरीली जमीन पर हल्दी की खेती शुरू की है. पाठा क्षेत्र की जमीन पथरीली है. ऐसे में ज्यादातर लोग खेती करने के बजाय, काम की तलाश में बाहर पलायन करते हैं. हालांकि, अब राम सिंह बाजारों में हल्दी बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
फसल से बढ़ेगी कमाई
किसान राम सिंह मौर्य ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने अपने खेत में हल्दी के तीन हजार पौधे लगाए. किसान का ये मानना है कि अगर किसी फसल में जोखिम हो तो उसके साथ-साथ दूसरी फसल भी उगाई जानी चाहिए. इससे उत्पादन में कमी नहीं होगी. ऐसे में राम सिंह ने हल्दी की खेती शुरू की और इससे उनकी आय भी बढ़ी.
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पथरीली जमीन का फायदा
किसान राम सिंह मौर्य बताते हैं कि हल्दी की खेती खासतौर पर डोमट मिट्टी में अच्छी होती है. हालांकि, अगर अच्छे से फसल का ध्यान रखा जाए तो पथरीली जमीन पर भी हल्दी का उत्पादन हो सकता है. हल्दी के पौधे छायादार जगह में भी अच्छे से उग सकते हैं और उनकी फसल पर कीटों और बीमारियों का असर भी कम होता है.
बाजार में मिलेगी अच्छा कीमत
किसान राम सिंह मौर्य ने ये जानकारी दी कि उन्होंने बिहार से हल्दी के पौधों को ₹80/किलो के हिसाब से खरीदा था. आमतौर पर हल्दी की फसल मई और जून के बीच लगाई जाती है. ऐसा करने से बरसात के पानी से फसल बेहतर होती है. हल्दी की फसल जनवरी से फरवरी तक पूरी तरह तैयार हो जाती है. एक पौधे से लगभग 500 से 700 ग्राम हल्दी निकलती है, जिसे बाजार में अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 16:36 IST