"अब समय आ गया है...", तिरुपति लड्डू विवाद पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कह दी ऐसी बात

2 hours ago 2
आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव - India TV Hindi Image Source : PTI आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव

प्रसिद्ध तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के लड्डू प्रसादम विवाद पर हंगामा मचा है। विवाद के बीच आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि मंदिर के 'प्रसादम' में गोमांस की चर्बी मिलना बेहद घृणित है। उन्होंने कहा कि कि मंदिरों को सरकार और प्रशासन नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां कोई भक्ति नहीं, वहां कोई पवित्रता नहीं होगी।

सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "मंदिर के प्रसाद में भक्तों द्वारा गोमांस का सेवन करना बेहद घृणित है। इसीलिए मंदिरों का संचालन सरकारी प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए। जहां भक्ति नहीं, वहां पवित्रता नहीं। अब समय आ गया है कि हिंदू मंदिर सरकारी प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ हिंदुओं द्वारा चलाए जाएं।"

Image Source : SOCIAL MEDIA

सद्गुरु की प्रतिक्रिया

श्री श्री रविशंकर भी जता चुके हैं नाराजगी

तिरुपति लड्डू विवाद पर आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का भी बयान आया। उन्होंने कहा कि हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि 1857 में सिपाही विद्रोह कैसे हुआ था। और अब हम देखते हैं कि इस लड्डू से हिंदुओं की भावनाएं कितनी गहरी आहत होती हैं। यह ऐसी चीज़ है, जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह दुर्भावनापूर्ण है और यह उन लोगों के लालच की पराकाष्ठा है जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं, इसलिए उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए और उन्हें जेल में डाल देना चाहिए। चाहे जो भी इस प्रक्रिया में दूर से भी शामिल हों। हमें सिर्फ लड्डू ही नहीं, बल्कि हर खाद्य उत्पाद की जांच करने की आवश्यकता है। 

श्री श्री रविशंकर ने आगे कहा, बाज़ार में उपलब्ध घी के बारे में क्या? क्या कोई जांच रहा है कि वे इसमें क्या डाल रहे हैं? वे सभी जो भोजन में मिलावट करते हैं और उस पर शाकाहारी होने का ठप्पा लगाते हैं और उसमें किसी भी प्रकार की मांसाहारी सामग्री डालते हैं, उन्हें बहुत कड़ी सजा दी जानी चाहिए। मंदिर प्रबंधन के लिए हमें यह देखने की जरूरत है कि यह संतों, स्वामियों और आध्यात्मिक गुरुओं की देखरेख में हो। हमें आध्यात्मिक गुरुओं की एक समिति बनाने की ज़रूरत है, उत्तर और दक्षिण दोनों को उन्हें देखरेख करनी चाहिए। सरकार की ओर से भी एक व्यक्ति हो, लेकिन उसे छोटी भूमिका निभानी होगी। लेकिन प्रमुख निर्णय, पर्यवेक्षण और सब कुछ एसजीपीसी (SGPC) जैसे धार्मिक बोर्डों द्वारा किया जाना चाहिए, जैसे मुस्लिम निकाय, ईसाई निकाय की तरह।

ये भी पढ़ें- 

"मणिपुर को अफगानिस्तान जैसा क्यों बनने दे रही केंद्र सरकार", कांग्रेस सांसद ने उठाए सवाल

क्या नीतीश कुमार के साथ 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी LJP? पार्टी ने कहा- हमारा स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत

Latest India News

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article