![सोलर एनर्जी](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/paisa-new-lazy-big-min.jpg)
उद्योग निकाय नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) ने कहा है कि भारत की 100 गीगावाट सोलर कैपेसिटी स्थापित करने की उपलब्धि विकसित और विकासशील देशों को ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए प्रेरित करेगी। शुक्रवार को केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि भारत ने क्लीन एवं ग्रीन फ्यूचर के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर 100 गीगावाट सोलर कैपेसिटी की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है।
भारत चौथा बड़ा देश
एनएसईएफआई के सीईओ सुब्रह्मण्यम पुलिपका ने कहा, “चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद भारत 100 गीगावाट का मील का पत्थर पार करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। हालांकि, हम जर्मनी से थोड़े अंतर से पीछे हैं, लेकिन हम जल्द ही दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सोलर मार्केट बन जाएंगे। यह उपलब्धि यह सीखने और समझने में कई देशों (विकसित और विकासशील दोनों), खासकर ग्लोबल साउथ के लिए प्रेरणा है कि त्वरित ऊर्जा संक्रमण को कैसे सक्षम किया जाए।”
एक नए युग की शुरुआत
उन्होंने कहा कि यह प्रगति भारत की जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक नये युग की शुरुआत है। पुलिपका ने कहा कि भारत के ऊर्जा संक्रमण परिदृश्य में पिछले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने में तेजी देखी गई है। साल 2014 में देश में सौर ऊर्जा स्थापना सिर्फ तीन गीगावाट थी। यह उपलब्धि सहायक सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित व्यापार-अनुकूल माहौल का परिणाम है। भारत अगले वित्त वर्ष में 35 से 40 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ेगा और फिर 2026-27 में इसे 40-45 गीगावाट तक बढ़ाएगा। उपयोगिता पैमाने के प्रयासों से संबंधित गतिविधि के अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग में भी सकारात्मक रुझान है, जो उत्साहजनक है। केंद्र की प्रमुख योजनाएं - पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पीएम कुसुम भी क्षमता वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)