इंटरनेट पर वीडियो कर रही है बच्चों को गुमराह! पैरेंट्स कैसे रखें उन पर नजर?

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कुछ दिन पहले हरियाणा के भिवानी जिले के एक सरकारी स्कूल में कुछ बच्चों ने बैटरी से चलने वाला रिमोट बम बनाया और टीचर की कुर्सी के नीचे रखकर धमाका कर दिया. इस घटना में 13 बच्चों को स्कूल से सस्पेंड कर दिया गया. मध्यप्रदेश के देवास में एक 15 साल के बच्चे ने बंदूक बनाई. इस दौरान सुतली बम का बारूद अचानक फट गया जिसके प्रेशर से 5 रुपये का सिक्का बच्चे के गले में घुस गया और उसकी मौत हो गई. केरल में एक 17 साल की प्रेग्नेंट लड़की ने खुद से ही घर पर बच्चे की डिलीवरी की. इन तीनों घटनाओं का कनेक्शन यूट्यूब से है क्योंकि सभी मामलों में बच्चों ने यूट्यूब से जानकारी हासिल की. यूट्यूब पर हर तरह की जानकारी मौजूद है लेकिन यह इंटरनेट स्कूल बच्चों के लिए खतरा बनता जा रहा है. जरूरी नहीं कि इस पर दिखाया गया हर कंटेंट सही हो. कुछ वीडियो बच्चों को गुमराह भी कर रही हैं. ऐसे में पैरेंट्स को बहुत सावधान होने की जरूरत है.

बच्चे समय से पहले होने लगे हैं मैच्योर
मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि आज की जनरेशन के बच्चे समय से पहले मैच्योर हो रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मोबाइल के जरिए उन्हें बहुत सारी जानकारियां लगातार मिलती रहती है. उनके सामने जो वीडियो आती हैं, वह उनकी उम्र के हिसाब से नहीं है लेकिन जब इस तरह की वीडियो वह देखते हैं तो उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है. उन्हें लगता है कि उन्हें हर चीज की समझ आ चुकी है और वह नई-नई चीजों को करने से घबराते नहीं है. वह जिस तरह से कपड़े पहनते हैं और बात करते हैं, उन्हें लगता है कि मैच्योर हैं. 

उम्र के हिसाब से नहीं देखते कंटेंट
सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा भी कंटेट है जो दावा करता है कि वह बच्चों के लिए बना है. लेकिन उन वीडियो में एडल्ट के हिसाब से कंटेंट होता है. इस पर दुनियाभर में बहस भी चल रही है. दरअसल कुछ किड्स वीडियोज पर कंट्रोवर्सी भी हो गई. कनाडा के टीसीवी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के लिए बनाए गए चैनल्स के थंबनेल चाइल्ड बर्थ, प्रेग्नेंसी और कुछ अश्लील इमेज कार्टून के रूप में बनाए जा रहे हैं. वहीं, कई वीडियो ब्यूटी, स्टाइल की होती हैं जिन्हें देखकर छोटी बच्चियां भी मेकअप करने लगती हैं.  

मोबाइल पर बच्चे क्या देख रहे हैं, पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए (Image-Canva)

पैरेंट्स नहीं करते बच्चों से बात
प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि सोशल मीडिया की वीडियोज आज की जनरेशन के लिए एक वर्चुअल स्कूल की तरह है लेकिन यहां कोई टीचर नहीं है जो उन्हें सही और गलत का फर्क बता सके. वहीं, पैरेंट्स खुद हर दम अपने फोन पर लगे रहते हैं जिससे उनकी बच्चों से बात बहुत कम होती है. बच्चा जब बड़ा हो रहा होता है, तो उसके लिए हर चीज नई होती है. उसके मन में बहुत से सवाल आते हैं. वह अपने पैरेंट्स से पूछने की कोशिश करते हैं तो अक्सर माता-पिता उन्हें मुंह बंद करने को कहते हैं. जब उन्हें जवाब नहीं मिलते तो वह सोशल मीडिया पर इनके जवाब खोजने लगते हैं. जो जानकारी उन्हें मिलती है, वह कितनी सही और सटीक है, उन्हें नहीं पता होता.  

बच्चे क्या देख रहे हैं, नजर रखना जरूरी
यूट्यूब एक ऐसा सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म है जहां हर तरह की जानकारी मौजूद है. लेकिन वह कंटेंट कितना ठीक है या गलत इसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं है. इस वर्चुअल दुनिया से कई अच्छी चीजें भी सीखी जाती है जैसे इससे बच्चे कई नए शब्द, भाषा, आर्ट एंड क्राफ्ट समेत कई नई कविताएं कहानियां. लेकिन इस पर कुछ ऐसी चीजें भी अपलोड हैं जो बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. जैसे प्रैंक यानी बदमाशियों के नए-नए तरीके, अभद्र भाषा. 

कई चैनल एजुकेशन के नाम पर कर रहे गुमराह
बीसीसी ने कुछ यूट्यूब चैनलों को इन्वेस्टिगेट किया. इसमें सामने आया कि 50 से ज्यादा एजुकेशन चैनल जो 20 से ज्यादा भाषाओं में चल रहे हैं, वह बच्चों को गलत जानकारी दे रहे हैं और इन सब चैनलों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वीडियो कंटेंट बनाया जा रहा है. यह सभी STEM कंटेट यानी साइंस, टेक्नोलॉजी इंजिनिंग और मैथ्स से जुड़ा कंटेट बना रहे हैं. जांच में पाया गया कि इस पर जिस जानकारी को साइंटिफिक फैक्ट्स के आधार पर बताया जा रहा है, वह गलत है. 

पैरेंट्स को बच्चों के साथ ज्यादा वक्त गुजारना चाहिए ताकि वह उनसे अपनी सारी बात शेयर करें (Image-Canva)

वर्चुअल वर्ल्ड से दूर नए स्किल्स सिखाएं
बच्चे की पर्सनैलिटी कैसी बनेगी, इसमें पैरेंट्स की भूमिका बहुत अहम होती है. अगर बच्चे को बचपन में ही मोबाइल दे दिया जाए तो वह क्रिएटिव नहीं बन सकता. बच्चे का दिमाग तेजी से तभी डिवेलप होता है, जब उनके दिमाग को कोई टास्क दिया जाए. बचपन में बच्चों के साथ फोन से दूर रखें. उनके साथ ऐसे गेम्स खेले जिसमें उन्हें दिमाग का इस्तेमाल करना पड़े जैसे चेस, पहेलियां. उन्हें किसी स्किल क्लास में डाल दें जैसे सिंगिंग, डांस, पेटिंग. इससे उनका दिमाग क्रिएटिव और प्रोडक्टिव बनेगा.

बच्चे की हर एक्टिविटी  जानें
डिजिटल होती दुनिया में बच्चों को मोबाइल से दूर रखना थोड़ा मुश्किल है लेकिन उनकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग जरूरी है. यूट्यूब ने एक फीचर बनाया यूट्यूब फैमिल सेंटर हब जिसमें पैरेंट्स अपने बच्चों की वीडियो की जानकारी ले सकते हैं. इस फीचर में पैरेंट्स के पास पूरा कंट्रोल होता है. वह बच्चे के जरिए किए गए कमेंट, वीडियो हिस्ट्री और सब्सक्राइब किए गए चैनलों की जानकारी पा सकते हैं. इसके अलावा भी ऐसी कई ऐप हैं जो पैरेंट्स को मोबाइल पर नजर रखने का ऑप्शन दे रही हैं.  

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FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 19:27 IST

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