Agency:News18 Bihar
Last Updated:January 30, 2025, 12:32 IST
Walls Krait Snake: बिहार में करैत की अब तीन प्रजातियां दर्ज की गई है. इनमें कॉमन करैत, बैंडेड करैत तथा वॉल्स करैत शामिल हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बताते हैं कि "वॉल्स स्नेक" कॉमन करैत से भी ज्यादा विषैले होते है...और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- बिहार में वॉल्स करैत सांप की नई प्रजाति मिली.
- वॉल्स करैत सांप कॉमन करैत से ज्यादा विषैला है.
- वॉल्स करैत की बाइट से इंसान की जान जल्दी जा सकती है.
पश्चिम चम्पारण. 21 सितंबर 2024 को बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसे सांप की मौजूदगी दर्ज की गई, जिसे उस दिन से पहले तक सूबे में कभी नहीं देखा गया था. नेचर एनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक बताते हैं कि ये सांप वॉल्स करैत प्रजाति का था, जिसे एक असाधारण सांप के रूप में जाना जाता है. सितंबर 2024 से पहले पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के ज्यादातर क्षेत्रों में करैत की सिर्फ दो ही प्रजातियां देखी जाती थी, जिनमें कॉमन करैत और बैंडेड करैत शामिल थे. लेकिन अब यहां करैत की कुल 3 प्रजातियों का निवास है.
VTR में मौजूद है सांपों की दर्जनों प्रजातियां
बता दें कि अभिषेक पिछले 25 वर्षों से वाइल्ड लाइफ पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में सांपों की दर्जनों प्रजातियों का सामना किया है. इनमें बिग फोर से लेकर किंग कोबरा जैसे विशालकाय सांप तक शामिल है. उनकी मानें तो, सांपों की विविधता के लिए बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में बसा “वाल्मीकि टाइगर रिजर्व” बेहद प्रसिद्ध है, लेकिन यहां भी आजतक करैत की सिर्फ दो ही प्रजातियों को दर्ज किया गया है.
2024 को बिहार में पहली बार देखा गया
21 सितंबर 2024 को सूबे की राजधानी पटना में उन्होंने करैत की ही एक खास प्रजाति का रेस्क्यू किया, जिसे वॉल्स करैत के नाम से जाना जाता है. अभिषेक की मानें तो, पहली बार सन 1907 में “कर्नल फ्रैंक वॉल्स” को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से इस सांप के तीन अवशेष प्राप्त हुए थे. यही कारण है कि इसे कर्नल वॉल्स के ही नाम से वॉल्स करैत के रूप में जाना जाने लगा. आश्चर्य की बात यह है कि अन्य सांपों की तुलना में वॉल्स करैत बेहद असाधारण सांप है.
न्यूरोटॉक्सिक वेनम से लैस है यह सांप
विशेषज्ञों की मानें तो, वॉल्स करैत न्यूरोटॉक्सिक वेनम से लैस होते हैं. इनकी एक बाइट से बेहद कम समय में इंसानों की जान जा सकती है. आमतौर पर ये हिमालय की तराई और पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करते हैं. इनकी औसत लंबाई साढ़े चार से पांच फीट तक होती है. ज्यादातर सांपों की तुलना में इनकी त्वचा बेहद चमकीली और धारियों से भरी होती है. हालांकि जमीन से सटा निचला भाग हल्का भूरा तथा पीले रंग का होता है. भयावह बात यह है कि ये सांप रात्रिचर होते हैं, जो अंधेरा होते ही शिकार की तलाश में बाहर निकल आते हैं.
करैत से कई गुना ज्यादा है विषैले
गौर करने वाली बात यह है कि ये सांप कॉमन करैत से कई गुना ज्यादा विषैले होते हैं, लेकिन बेहद कम देखे जाने की वजह से इंसानों से इनका सामना ना के बराबर होता है. यही कारण है कि इनके द्वारा डंसे जाने के मामले भी नगण्य होते हैं. सर्दियों में मार्च से लेकर गर्मियों में मई महीने तक ये बच्चों को जन्म देते हैं. विशेषज्ञों की माने तो, ये एक बार में 22 अंडे तक देते हैं. चुकी इनके दांत बेहद छोटे एवं सुई से भी ज्यादा पतले होते हैं, इसलिए इनके द्वारा डंसे जाने के बावजूद भी ज़रा भी भनक नहीं लगता है और बिना दर्द के कुछ ही समय में तंत्रिका तंत्र डैमेज होने से इंसान की मौत हो जाती है.
Location :
Pashchim Champaran,Bihar
First Published :
January 30, 2025, 12:32 IST