इस्लामाबाद. पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी का आंदोलन ऐसे ही वापस नहीं हो गया. इसके पीछे तीन बड़ी वजहें रहीं. हालांकि उनकी पार्टी आने वाले 1 दिसंबर को विश्वव्यापी स्तर पर इस्लामाबाद नरसंहार काला दिवस मनाने की तैयारी कर रही है. साथ ही पार्टी इमरान खान की रिहाई लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख भी कर सकती है. इमरान खान ने जेल से फाइनल कॉल के नाम से इस्लामाबाद के डी चौक पर अनिश्चितकालीन धरना देने को कहा था. पाकिस्तान फौज ने इसके लिए पूरी तैयारी की हुई थी. उन्हें यह उम्मीद थी कि उनकी शर्तों को इमरान खान मान लेंगे. जिससे फौज का आगे का रास्ता साफ हो जाएगा.
इसके साथ ही फौज ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई मिलकर एक अलग प्लान भी बनाया हुआ था. तीसरे चरण की बातचीत में जब फौज ने इमरान खान से कहा कि रिहा होने के बाद वह फौज के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे तो जवाब में इमरान खान ने यह बात मानने से इंकार कर दिया. तब तक इमरान खान को भी नहीं पता था की फौज खुफिया एजेंसी से मिलकर अपने प्लान को आगे बढ़ा चुकी है. पाकिस्तान फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने चरणबद्ध तरीके से इमरान खान की पंजाब लाहौर इकाई में यह बात फैलानी शुरू कर दी थी कि इस आंदोलन के जरिए खैबर पख्तूनवा के मुख्यमंत्री अमीन गंडापुर अपना कद बढ़ाना चाहते हैं और बुशरा बीबी को इमरान खान की जगह बागडोर दिलाना चाहते हैं.
फौज और खुफिया एजेंसी काफी हद तक अपने इस प्लान में कामयाब रही. क्योंकि पंजाब और लाहौर पीटीआई के बड़े नेता इस आंदोलन में शामिल ही नहीं हुए. इन जगहों से पार्टी के लोग भी आंदोलन में नहीं आए. जबकि पंजाब और लाहौर में पाकिस्तान की ज्यादातर आबादी रहती है. फौज की जब इमरान खान से बातचीत टूट गई तो फौज ने बुशरा बीवी और अमीन गंडापुर की गाड़ी पर फायरिंग कर दी. फायरिंग होते देख अमीन गंडापुर और बुशरा बीबी डी चौक के पास से हट गए. इसके साथ ही वहां मजबूत लीडरशिप का अभाव हो गया. आपसी समन्वय न होने के कारण पीटीआई समर्थक पूरी तरह से तितर-बितर हो गए. इसके बाद फौज और पुलिस ने आसानी से डी चौक समेत आसपास का इलाका खाली करा लिया.
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हालांकि इसके बाद भी अमीन गंडापुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है और धरना जारी है. लेकिन कड़वी सच्चाई यही है कि फौज और खुफिया एजेंसी के बेहतर तालमेल के चलते पाकिस्तानी प्रशासन इस लास्ट कॉल को फेककॉल साबित करने में सफल हो गया. उधर पीटीआई आपसी समन्वय का अभाव, मौके पर मजबूत लीडरशिप ना होने, बुशरा बीबी को कथित तौर पर इमरान की जगह नेता स्थापित करने के प्रोपेगेंडा में फंस गई. उधर इमरान ने फौज की बात मानने से इनकार कर दिया. जिसके चलते यह आंदोलन फिलहाल खत्म हो गया. अब पार्टी आने वाले 1 दिसंबर को फिर से अपनी नई रणनीति के तहत काम करना शुरू करेगी.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 20:06 IST