फाइव आर सेंटर में काम करती महिलाएं
Agra: आगरा नगर निगम परिसर में संचालित हो रहे “फाइव आर सेंटर” में महिलाओं के समूह द्वारा वेस्ट मैटेरियल से उपयोगी चीजें बनाई जा रही हैं. यह पहल ना केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम है, बल्कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है. आगरा नगर निगम में पिछले महीने अपने परिसर में “फाइव आर सेंटर” की स्थापना की है.
क्या है फाइव आर का मतलब?
5- R का मतलब है रिजेक्ट, रिड्यूस, रीयूज, रीपरपस और रिसाइकिल. इस सेंटर का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. यहां महिलाओं के समूह द्वारा वेस्ट मैटेरियल, जैसे प्लास्टिक, कागज, धातु और पुराने कपड़ों से कई उपयोगी और आकर्षक वस्त्र, सजावट सामग्री, और घरेलू उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं.
आर्थिक रूप से सशक्त हो रही महिलाएं
रेखा गुप्ता क्षेत्रीय स्तरीय समिति समूह 2022 से काम काम कर रहा है. यह समूह पिछले महीने आगरा नगर निगम में खोले गए 5-R सेंटर से जुड़ा है. अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव के अनुसार पूरे आगरा शहर में अलग-अलग जगह पर 9, 5-R केंद्र खोले गए हैं. इन सेंटर में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए वेस्ट मैटेरियल से उपयोगी चीज बनवाई जा रही हैं, जो पर्यावरण के लिए भी उपयोगी हैं.
गांधी जी की 155 की जयंती पर इन्हीं महिलाओं के द्वारा चमड़े व जूते से निकली कतरन से 155 मीटर लंबी चटाई बनाई गई थी. महिला समूह की अध्यक्ष रेखा गुप्ता ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि, यह पहल हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है. पहले हम इस मैटेरियल को कचरे के रूप में देखते थे लेकिन अब हम इसे उपयोगी सामान में बदल रहे हैं, जिससे हमें अतिरिक्त आय भी हो रही है. इस केंद्र से हम दो दर्जन महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं.
अपनी कमाई से पिता का सहयोग
इस 5R सेंटर से जुड़ी आगरा सेवला की रहने वाली आइशा गौतम ने बताया कि वह 12वीं की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और BA की पढ़ाई कर रही हैं. उनके पिता संजय गौतम जूते का काम करते हैं. घर में दो भाई हैं, जो पढ़ रहे हैं. पिता की तनख्वाह से घर का खर्चा नहीं चल पता. 3 साल पहले वह समूह से जुड़ी थी. अब बहुत सारी चीजें बनाना सीख गई हैं. इन चीजों को नगर निगम अलग-अलग जगह पर बेचता है. जिससे इन्हें तनख्वाह मिलती है, उस तनख्वाह से वे अपने पिता का घर चलाने में सहयोग करती हैं. उन्हें गर्व है कि वे अपने दोनों भाइयों को पढ़ा रही हैं और आर्थिक रूप से भी मजबूत हैं.
बच्चों की हो रही है अच्छी परवरिश
समूह से जुड़ी हुई कल्पना की भी कहानी कुछ इसी तरह की है. घर में आर्थिक तंगी थी, उनके पति योगेश जूते का काम करते हैं. तीन बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई का खर्चा उठाना मुश्किल था. कल्पना 3 साल पहले समूह से जुड़ी. समूह से जुड़कर अब कल्पना अपने पति के साथ मिलकर गृहस्थी की गाड़ी चला रही हैं. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और अच्छी परवरिश कर रही हैं.
पति ने छोड़ी दुनिया लेकिन हिम्मत नहीं हारी
5R सेंटर में काम कर रही जीवनी मंडी की रहने वाली मंजू देवी का कहना है कि कुछ साल पहले उनके पति का देहांत हो गया. घर में बच्चे हैं और कमाने का कोई भी साधन नहीं था. पति के गुजर जाने के बाद उनकी दुनिया ही उजड़ गई. सरकार के द्वारा चलाई गई इस योजना से जुड़कर वे 8 घंटे काम कर अच्छी पगार ले रही हैं. ये कुछ महिलाओं की कहानी है जो आगरा 5R सेंटर से जुड़ी हुई हैं. पूरे आगरा शहर में लगभग सैकड़ों समूह हैं जिनसे महिलाएं जुड़ी हैं और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं.
बेहद जरूरी हैं रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल, रिपेयर और रिफ्यूज’ के सिद्धांत
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल का कहना है कि इस सेंटर के अंतर्गत ‘रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल, रिपेयर और रिफ्यूज’ जैसे पांच मूलभूत सिद्धांतों का पालन किया जाता है. इससे समाज में जागरूकता और स्थिरता बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. इस 5R सेंटर से न केवल कचरे की समस्या का समाधान हो रहा है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिल रही है. “फाइव आर सेंटर” की यह पहल आगरा नगर निगम के पर्यावरण-संरक्षण के लक्ष्यों के साथ-साथ महिलाओं के आर्थिक विकास की दिशा में भी एक प्रेरणादायक कदम है.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 07:44 IST