Jharia Assembly Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद से सभी पार्टी और उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से तैयारी में जुट गए हैं. कुल 81 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होने हैं. इन्हीं 81 सीटों में से एक सीट धनबाद की झरिया विधानसभा सीट है. इसे प्रदेश की ‘हॉट’ सीट भी कह सकते हैं. यह इलाका सूर्य देव सिंह यानी ‘सिंह मेंशन’ का दबदबा वाला रहा है.
यहां से सूर्य देव सिंह, उनके भाई बच्चा सिंह, सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी और बेटे संजीव सिंह विधायक रह चुके हैं. लेकिन, 2019 के चुनाव में यहां दाव पलट गया था. कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने संजीव सिंह की पत्नी और बीजेपी प्रत्याशी रागिनी सिंह को हरा दिया था. पूर्णिमा सिंह सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई राजन सिंह की पुत्रवधू हैं. पिछली बार की तरह इस बार भी इस सीट पर देवरानी-जेठानी के बीच कांटे की टक्कर है.
4 दशक तक ‘सिंह मेंशन’ का कब्जा
दरअसल, 4 दशक तक झरिया विधानसभा सीट पर ‘सिंह मेंशन’ परिवार का कब्जा रहा. 2009 तक परिवार एकजुट होकर चुनाव लड़ा. फिर सूर्य देव सिंह के परिवार की पहचान ‘सिंह मेंशन’ तो उनके छोटे भाई राजन सिंह के परिवार की पहचान ‘रघुकुल’ हो गई. 2014 के चुनाव में ‘सिंह मेंशन’ से सूर्य देव सिंह के बेटे संजीव सिंह बीजेपी से मैदान में उतरे थे तो ‘रघुकुल’ से राजन सिंह के बेटे नीरज सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोकी थी. दो चचेरे भाइयों के बीच हुआ यह चुनाव काफी रोमांचक था. मतगणना में संजीव सिंह की जीत हुई और नीरज चुनाव हार गए. फिर 2017 में नीरज सिंह की हत्या हो गई. इस मामले में विधायक संजीव सिंह का नाम आया और वह जेल भेज दिए गए.
तब शुरू हुआ देवरानी-जेठानी में मुकाबला
इसके बाद 2019 के चुनाव में संजीव सिंह की पत्नी और नीरज सिंह की पत्नी यानी देवरानी और जेठानी आमने-सामने आईं. संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को बीजेपी से टिकट मिला और स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं. यह चुनाव भी काफी रोचक रहा. लेकिन, इस बार पूर्णिमा सिंह ने रागिनी सिंह को हराकर जीत दर्ज कर ली. सत्ता की चाभी ‘सिंह मेंशन’ से ‘रघुकुल’ में चली गई. अब 2024 के चुनाव में भी देवरानी और जेठानी मैदान में हैं. पिछले चुनाव की तरह बीजेपी ने एक बार फिर रागिनी सिंह पर विश्वास जताया है तो कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए पूर्णिमा सिंह को टिकट दिया है. इस बार भी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है.
सूर्यदेव सिंह 1977 में बने थे विधायक
बता दें कि ‘सिंह मेंशन’ के सूर्य देव सिंह 1977 में पहली बार झरिया विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने. वह यहां से लगातार 4 बार विजयी हुए और सदन में इस इलाके का प्रतिनिधित्व किए. सूर्य देव सिंह के बाद इनके भाई बच्चा सिंह साल 2000 में विधायक बने. वहीं 2005 और 2009 में सूर्य देव सिंह की पत्नी कुंती देवी बीजेपी से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. साल 2014 में इनके बेटे संजीव सिंह विधायक चुने गए थे. फिलहाल, पूर्णिमा सिंह यहां से विधायक हैं. बता दें कि साल 1967 में झरिया विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. कांग्रेस के एसआर प्रसाद यहां के पहले विधायक बने थे. वहीं, 1995 में जनता दल के टिकट पर आबो देवी विधायक बनी थी और बिहार सरकार में मंत्री भी थीं.
झरिया के स्थानीय मुद्दे
स्थानीय पत्रकार अरुण ने लोकल 18 को बताया कि झरिया की पहचान कोयला को लेकर है. कोयला मजदूर और श्रमिक यूनियन यहां की राजनीति को काफी प्रभावित करते हैं. ये जिनके पक्ष में जाते हैं, उनके जीतने की संभावना बढ़ जाती है. वर्षों से झरिया के ज्यादातर इलाकों में जमीन के नीचे आग लगी है. इस आग और आउटसोर्सिंग की वजह से जलस्तर काफी नीचे चला गया है. हर चुनाव में विस्थापन-पुनर्वास और पेयजल बड़ा मुद्दा रहता है. इलाके में प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है. जमीन के नीचे आग के कारण जहरीली गैस निकलती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है.
पिछले दो चुनाव परिणाम के आंकड़े
पिछले दो विधानसभा चुनाव परिणाम के आंकड़ों की बात करें तो 2019 में कांग्रेस की पूर्णिमा सिंह को 50.34% वोट मिले थे. वहीं, बीजेपी की रागिनी सिंह को 42.73% मत मिले थे. इस चुनाव में पूर्णिमा सिंह ने 12,054 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. वहीं, 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी संजीव सिंह को 48.14% वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के नीरज सिंह को 26.24% मत मिले थे. इस चुनाव में संजीव सिंह ने नीरज सिंह को 33,692 वोटों से हराया था.
झरिया विधानसभा में वोटिंग का हाल
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, झरिया विधानसभा में कुल 3 लाख 1 हजार 564 मतदाता हैं. इनमें 1 लाख 59 हजार 623 पुरुष और 1 लाख 41 हजार 925 महिला वोटर हैं. वहीं, अन्य मतदाता की संख्या 16 है. प्रशासन के द्वारा मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने का अभियान जारी है. प्रत्याशियों के नामांकन तक यह संख्या बढ़ सकती है. 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 52.71% मतदान हुआ था, जो धनबाद की कुल 6 विधानसभा सीटों में सबसे कम था. 2024 चुनाव के लिए यहां दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है और 23 नवंबर को चुनाव परिणाम की घोषणा होगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 06:29 IST