हमीरपुर. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर ‘प्रसाद’ के रूप में बेचे जाने वाले ‘रोट’ के सैंपल जांच में खाने लायक नहीं पाए गए हैं. ‘रोट’ बनाने के लिए गेहूं के आटे, चीनी और देसी घी या वनस्पति तेल का इस्तेमाल किया जाता है. हर साल लगभग 50-75 लाख श्रद्धालु बाबा बालक नाथ के प्राचीन गुफा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालु बाबा बालक नाथ को ‘प्रसाद’ के रूप में ‘रोट’, मिठाइयां और अन्य चीजें चढ़ाते हैं. अधिकारियों के मुताबिक, बाबा बालक नाथ मंदिर में चढ़ाए जाने वाले ‘रोट’को लेकर कई शिकायतें मिल रही थीं. खाद्य सुरक्षा विभाग ने मंदिर से ‘रोट’ के सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए सोलन जिले की कंडाघाट लैब में भेजा. उन्होंने बताया कि जांच में मंदिर में चढ़ाए जाने वाले ‘रोट’ खाने लायक नहीं पाए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ‘प्रसाद’ के रूप में चढ़ाए गए ‘रोट’ बासी थे और ये सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं.
सितंबर महीने में तिरुपति बाला जी मंदिर के प्रसाद का मामला विवादों में आने के बाद मंदिरों के प्रसाद गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे थे. अक्टूबर महीने में फूड एंड सेफ्टी विभाग की टीम ने मंदिर की दुकानों में औचक दस्तक देकर यहां मंदिर की कैंटीन और विभिन्न दुकानों में बनाए जाने वाले रोट के सैंपल भरे थे.
अनिल शर्मा, असीस्टेंट कमीश्रर फूड एंड सेफ्टी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर में ‘रोट’ के जो सैंपल भरे थे, उसकी रिपोर्ट आ गई है. कंडाघाट लैब से आई रिपोर्ट में यह सैंपल फेल पाए गए हैं. उन्होंने बताया कि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी.
होशियारपुर के एक श्रद्धालु मोहन सिंह ने कहा कि ‘रोट’ की क्वालिटी से अनजान लाखों श्रद्धालु उन्हें ‘प्रसाद’ के रूप में ग्रहण करते हैं. सिंह ने बताया कि कई लोग ‘रोट’ को महीनों अपने घर में रखते हैं और उन्हें प्रसाद के रूप में खाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 22:50 IST