इस युवा किसान ने विकसित की परवल की नई वैरायटी, उत्पादन क्षमता भी है अधिक

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परवल 

परवल 

मुजफ्फरपुर. बिहार में खेती का तरीका बदलते जा रहा है. कृषि में तकनीक के समावेशन ने खेती का काम आसान कर दिया है और किसानों को इसका फायदा भी मिल रहा है. बिहार में कई ऐसे प्रगतिशील किसान हैं, जो खेती के साथ नई किस्मों को भी इजाद करने में लगे हुए है. उन्हीं किसानों में से एक हैं मुजफ्फरपुर के सकार प्रखंड अंतर्गत मछही गांव निवासी युवा किसान साेनू निगम, जो परवल की नई वैरायटी विकसित किया है.

आमतौर पर परवल हरे रंग का होता है. लेकिन, सोनू निगम में जिस किस्म को विकसित किया है व थोड़ा सफेद दिखता है. इसको लोग मार्केट में सफेद परवल कहते है. इस परवल का देश में अब तक विकसित किस्मों की तुलना में सबसे ज्यादा उत्पादन हो रहा है. इसकी खासियत यह है कि कड़ी मिट्टी में भी गुणवत्तायुक्त जैविक उत्पादन किया जा सकता है. यह सामान्य परवल से जल्द और देर समय तक फलन देता है. बता दें कि इसमें प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होने के कारण रोग लगने की संभावना कम है.

पूसा निगम परवल में है कई खूबियां

किसान सह आत्मा के प्रखंड अध्यक्ष सोनू निगम ने लोकल 18 को बताया कि यह सफ़ेद परवल है. इसके मेल और फीमेल को कनेक्ट कर नई वैरायटी विकसित किया है. वहीं आईसीआर से सलेक्शन भी हो गया है. एक साल के अंदर इसका पूरा नवीनीकरण भी हो जाएगा. ऐसे इसका नाम पूसा निगम पड़ा है और सीरियल नंबर अभी देना अभी बांकी है. उन्होंने बताया कि लोकल परवल के मुकाबले इसका साइज छोटा होता है. वहीं इस नई वैरायटी के परवल का साइज लोकल परवल के मुकाबले दोगुना है. साथ ही इसके 5 से 6 प्रकार की खूबियां भी है. इस परवल का त्वचा पतला होता है, जिससे सब्जी बनाने के समय जल्दी पक जाता है. वहीं इसका बीज नरम होता है, जिससे खाने के समय कट-कट कीआवाज नहीं होती है. वहीं मार्केट से जो दूसरे वैरायटी का परवल खरीद कर लाते हैं, उसे फ्रिज में डाल देते है. लेकिन, इसको फ्रिज में डालने की कोई जरूरत नहीं है. इसको बेगर फ्रिज में रखें एक सप्ताह तक सुरक्षित रख सकते है. इसमें ठंड और गरम का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

250 क्विंटल है प्रति हेक्टेयर उपज

सोनू निगम ने लोकल 18 को बताया कि इसको मार्केट में भी उतार चुके हैं. अगर इसके रेट की बात करें तो जो साधारण परवल का रेट रहता है, उससे 5 रुपए अधिक है. यह परवल सीजनल है और इसके लत्तर पर निर्भर करेगा कि कब तक फलन होगा. वहीं इस विकसित परवल की नई किस्म का उत्पादन 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है जबकि अन्य किस्में 150 क्विंटल तक सिमट कर रह जाती है. लोग इस परवल को बहुत पसंद कर रहे है. बाजार मेंइसकी डिमांड खूब हो रही है. बता दें कि परवल की इस नई वैरायटी को विकसित करने के उपलक्ष्य में सोनू निगम को राष्ट्रीय उद्यान रत्न का अवार्ड भी मिल चुका है. साथ ही ICR भी इनको सम्मानित कर चुका है.

Tags: Agriculture, Bihar News, Local18, Muzaffarnagar news

FIRST PUBLISHED :

October 24, 2024, 12:33 IST

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