कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की स्टूडेंट्स बन रहीं हैं सशक्त
देहरादून: भारत सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की अवधारणा पर काम कर रही है. सरकारी स्कूलों में बेटियों को पढ़ाया भी जा रहा है. वहीं देहरादून का एक ऐसा स्कूल भी है जहां की छात्राएं शिक्षा के साथ कौशल पर भी काम कर रहीं हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के चकराता ब्लॉक में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय है. देहरादून का यह इकलौता ऐसा सरकारी हॉस्टल है जहां की स्टूडेंट्स सिर्फ पढ़ाई नहीं करती हैं बल्कि कई तरह की आर्ट्स पर काम करती हैं.
बहुत कुछ करती हैं छात्राएं
इसमें रेज़िन आर्ट, स्टोन आर्ट्स, वेस्ट मटेरियल से हैंडीक्राफ्ट आर्ट्स आदि शामिल हैं. इसके अलावा ये अचार, मुरब्बा आदि बनाने का काम भी कर लेती हैं. इन छात्राओं में इतना कौशल विकसित करने के लिए इनकी प्रिंसिपल और वॉर्डन दीपमाला ने बहुत मेहनत की है. उनका मानना है की लड़कियां पढ़ाई के साथ-साथ अगर अपने हुनर को दिखाएंगी तो उनके लिए जीवन में सफलता की राहें खुलेंगी. स्टूडेंट्स द्वारा बनाये गए उत्पाद वे प्रदर्शनियों में बेचती हैं, जिससे आमदनी भी होती है.
शिक्षा के साथ नये काम भी सीखें
कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की प्रिंसिपल दीपमाला ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा कि बालिका आवासीय विद्यालय में उत्तराखंड के पहाड़ी और रिमोट एरिया से आई लड़कियां शिक्षा ग्रहण करती हैं. सरकार ने ऐसे इलाकों की स्टूडेंट्स को शिक्षा के लिए ये विद्यालय बनाये हैं. उनके यहां बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बाकी एक्टीविटीज भी करते हैं.
उन्होंने बताया कि सितंबर 2021 में उनकी यहां पोस्टिंग हुई थी. वे भी नवोदय विद्यालय से पढ़ी हुईं हैं जहां उन्होंने कुछ अलग चीजें सीखी हुई थी. वे कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे छात्राएं शिक्षा के साथ- साथ नए कामों को भी सीखें. सबसे पहले छात्राओं के साथ मिलकर हॉस्टल को सजाने के लिए हैंडीक्राफ्ट बनाने शुरू किये.
बिकते हैं बच्चों के बनाए उत्पाद
बच्चे बाहर के केमिकल युक्त उत्पादों से बचे रहें इसलिए उन्होंने अपने ही हॉस्टल में जैम, अचार, मुरब्बा, बड़ियां बनाने की शुरुआत की. वे कहती हैं, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि हम इसका बिजनेस करेंगे लेकिन हमारी उम्मीद से आगे हमारी किस्मत निकली. किसी को बच्चों के उत्पाद पसंद आये तो हमें प्रदर्शनी में अपना सामान बेचने की सलाह दी. हमने इसकी शुरुआत की तो हमें बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. अब हम देहरादून में कई जगहों पर मेले और प्रदर्शनियों में अपने उत्पाद बेचते हैं.’
न आये घर की याद, छुट्टियों में भी करते रहें काम
दीपमाला ने बताया कि वे देखती थी कि छात्राएं घर -परिवार से दूर रहकर बहुत परेशान होती थी और उन्हें घर की याद आती थी. जब छुट्टियां पड़ती थी तो ये परेशानी और बढ़ जाती थी. वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता नहीं हैं, इसलिए उन्हें व्यस्त रखने के लिए पहले छोटी-छोटी चीजें बनाना शुरू की. छुट्टियों के दिनों में या छुट्टी के बाद किसी भी कला के एक्सपर्ट को बुलाकर छात्राओं को उसकी ट्रेनिंग दी जाती है. आज उनकी स्टूडेंट्स हैंडीक्राफ्ट, हाऊस होल्ड आर्ट्स करती हैं, जिससे आमदनी भी हो रही है.
Tags: Dehradun news, Local18, News18 UP Uttarakhand
FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 16:25 IST