उपचुनाव की हलचल और बेरोजगारी की गूंज, जानिए युवाओं ने क्या रखी मांग

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दौसा

दौसा में उपचुनाव

दौसा: राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं, जिनमें दौसा विधानसभा सीट भी शामिल है. दौसा में पहले कांग्रेस प्रत्याशी मुरारी लाल मीणा वर्तमान में सांसद बन गए हैं, जिसके बाद यह सीट खाली हो गई थी और अब उपचुनाव हो रहा है. निर्वाचन विभाग द्वारा 25 अक्टूबर तक नामांकन प्रक्रिया चलने वाली है. भाजपा ने जगमोहन मीणा को दौसा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जबकि कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है.

दौसा में रोजगार की स्थिति पर जनता की नाराजगी उपचुनाव के मद्देनजर हमारी टीम ने दौसा के स्थानीय लोगों से बातचीत की, जिसमें कई अहम समस्याएं सामने आईं. दौसा में रोजगार के अवसर लगभग न के बराबर हैं, जिससे यहां के युवा मजबूरन बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे हैं. सुभाष गुर्जर नामक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि जब भी चुनाव होते हैं, तो बड़े-बड़े नेता रोजगार के नाम पर वादे करते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता. यहां के युवा जयपुर, दिल्ली और अन्य शहरों में जाकर नौकरी करने को मजबूर हैं, क्योंकि दौसा में रोजगार के लिए कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं है.

उद्योग धंधों की स्थापना करनी चाहिए
उद्योग धंधों की स्थापना से रोजगार की संभावना दौसा के बेरोजगार युवाओं की मांग है कि अगर उपचुनाव में कोई भी पार्टी जीतती है, तो उसे सबसे पहले जिले में उद्योग धंधों की स्थापना पर काम करना चाहिए. सुभाष ने कहा कि दौसा में अगर कोई बड़ा उद्योग स्थापित होता है, तो यहां के युवाओं को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. दौसा का जिला मुख्यालय किसी भी तरह के बड़े उद्योग से वंचित है, और इसी कारण से यहां से पलायन जारी है.

उपचुनाव के दौरान जनता की मांग
उद्योगों का विकास दौसा के देवी सहाय महावर ने भी हमारी टीम को बताया कि जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं है, जबकि छोटे-मोटे उद्योग पहले से ही बंद हो चुके हैं. पिछले चुनाव में भी नेताओं ने रोजगार को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने चुनाव के दौरान लोगों को आश्वासन दिए, लेकिन उनका धरातल पर कोई असर नहीं दिखा.

कस्बों में उद्योग धंधों को स्थापित करने की मांग
छोटे कस्बों में उद्योग धंधों की स्थापना दौसा जिले के लोगों का कहना है कि अगर भांडारेज, बांदीकुई, लालसोट, सिकराय, महुआ जैसे कस्बों में छोटे उद्योग स्थापित किए जाते हैं, तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. इससे युवाओं को अन्य शहरों में जाकर काम करने की आवश्यकता नहीं होगी, और वे अपने ही गांव में रहकर रोजगार प्राप्त कर सकेंगे.

Tags: Dausa news, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 22, 2024, 08:45 IST

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