हाइलाइट्स
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश रेरा के आदेश को रद्द कर दिया है. अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री से जुड़े विज्ञापनों को जारी रखने की अनुमति दी. कोर्ट ने कहा कि अगर 30 दिनों के भीतर रेरा अर्जी पर कोई फैसला नहीं लेता, तो वह स्वतः पंजीकृत माना जाएगा.
नई दिल्ली. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के खिलाफ जारी आदेश को रद्द कर दिया है, जिससे सेक्टर 128 स्थित ग्रीन रिजर्व परियोजना में फ्लैटों की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है. अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री जारी रखने की अनुमति दी है.
1 अक्टूबर को दिए गए फैसले में न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि रेरा द्वारा फ्लैटों की बिक्री को अवैध बताने वाला नोटिस कानूनन गलत था, क्योंकि रेरा ने तय समय सीमा में परियोजना के पंजीकरण आवेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. अदालत ने रेरा अधिनियम की धारा 5(2) का हवाला देते हुए कहा कि अगर 30 दिनों के भीतर प्राधिकरण आवेदन पर कोई फैसला नहीं लेता, तो परियोजना स्वतः पंजीकृत मानी जाएगी.
जेआईएल को नहीं माना सह-प्रवर्तक
अदालत ने रेरा की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि जयप्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) को इस परियोजना में सह-प्रवर्तक माना जाए.इसके साथ ही अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री से जुड़े विज्ञापनों को जारी रखने की अनुमति दी और कहा कि रेरा अधिनियम की धारा 3 के तहत कंपनी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जा सकता.
गौरतलब है कि जुलाई 2017 में L&T ने JIL से एक समझौते के तहत 487.5 करोड़ रुपये में भूमि के एक हिस्से पर विकास अधिकार प्राप्त किए थे, जिसमें ग्रीन रिजर्व परियोजना के चार टावरों का निर्माण शामिल है. अदालत ने रेरा को L&T को आवश्यक पंजीकरण संख्या और एक्सेस क्रेडेंशियल जारी करने का भी निर्देश दिया है.
फैसले के होंगे दूरगामी प्रभाव
हाईकोर्ट के इस फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे. क्योंकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर रेरा किसी प्रोजेक्ट के आवदेन पर 30 दिनों के भीतर प्राधिकरण फैसला नहीं लेता, तो परियोजना स्वतः पंजीकृत मानी जाएगी. इससे रेरा की मनमानी पर लगाम लगेगी और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को जरूरी मंजूरियां जल्द मिलेगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 07:32 IST