फैसले की जानकारी देते शासकीय अधिवक्ता
मेरठ: अपराधिक घटनाओं में अक्सर देखा जाता है कि अपराधी घटना करने के बाद सबसे पहले सबूत मिटाने का प्रयास करते हैं, ताकि उन्हें सजा न मिल सके. मेरठ के लोअर कोर्ट द्वारा दिए गए एक निर्णय ने न्याय की उम्मीद करने वाले लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. कोर्ट ने डाइंग डिक्लेरेशन स्टेटमेंट के आधार पर आरोपी को आजीवन कारावास और 14,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. लोकल-18 ने शासकीय अधिवक्ता मुकेश कुमार मित्तल से इस फैसले पर विशेष बातचीत की.
विवेचक को दिए आखिरी बयान को बनाया गया आधार
शासकीय अधिवक्ता मुकेश कुमार मित्तल ने लोकल 18 को बताया कि 2015 में एक महिला, जो घर पर अकेली थी, पर आरोपी अमित ने हमला किया. महिला के विरोध करने पर आरोपी ने उस पर केरोसिन डालकर आग लगा दी. घटना के बाद, महिला का बयान लिया गया, जिसमें उसने पूरी घटना का विवरण दिया और आरोपी का नाम बताया. हालांकि, कुछ दिनों बाद महिला की मृत्यु हो गई, लेकिन उसके आखिरी बयान को ही इस केस का आधार बनाया गया.
महिला के बयान के आधार पर सजा और जांच
महिला द्वारा दिए गए बयान के आधार पर जांच हुई, जिसमें आरोपी के हाथों पर निशान पाए गए. इन्हीं तथ्यों को आधार बनाकर लोअर कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 14,000 रुपये का जुर्माना लगाया. शासकीय अधिवक्ता मित्तल ने कहा कि डाइंग डिक्लेरेशन पर आधारित यह फैसला न्यायिक प्रणाली में एक नजीर बन गया है.
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आई विटनेस की कमी और चुनौतीपूर्ण केस
यह मामला रोहटा रोड की महिला का था, जिसमें कोई आई विटनेस नहीं था. महिला के पति के अनुपस्थित रहने के कारण यह केस चुनौतीपूर्ण था. लेकिन 161 के तहत दिए गए आखिरी बयान को ही आधार बनाकर आरोपी को सजा दिलाई गई.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 15:39 IST