मुंबई: ‘मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा’- 2019 में ही देवेंद्र फडणवीस ने आज की तस्वीर दिखा दी थी. तब उद्धव ठाकरे ने पाला बदलकर देवेंद्र फडणवीस को सीएम की कुर्सी से दूर कर दिया था. वह सीएम बनने के काफी करीब थे. मगर उद्धव की शिवसेना ने एमवीए के साथ मिलकर अचानक खेल कर दिया और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा था. तभी देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा था- मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा. 2022 में भी जब महायुति सत्ता में लौटी तब भी देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम पद से ही संतोष करना पड़ा था. देवेंद्र फडणवीस का सीएम से डिप्टी सीएम बनना यह डिमोशन था.
इस वजह से देवेंद्र फडणवीस को उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी से लगातार तानों का सामना करना पड़ा. उद्धव की शिवसेना और एमवीए नेता अक्सर फडणवीस को राजनीतिक चक्रव्यूह से मात खाने वाला बताते थे. एनसीपी की सुप्रिया सुले अक्सर तंज कसते हुए कहती थीं, ‘एक फडणवीस अकेले क्या कर सकते हैं?’ महाराष्ट्र में महायुति के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव की हार का ठीकरा भी फडणवीस के सिर फोड़ा गया, क्योंकि उनके नेतृत्व में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा. कई लोगों को लगने लगा था कि देवेंद्र फडणवीस की कहानी खत्म हो गई है. खुद बीजेपी में उनके विरोधी भी ऐसा ही मानते थे. मगर अब देवेंद्र फडणवीस ने दिखा दिया कि अभी उनका अस्त नहीं हुआ है. अभी तो उनकी सियासत परवान चढ़ रही है.
फडणवीस ने कैसे तोड़ा चक्रव्यूह
लोकसभा चुनाव के 6 महीने बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा की शानदार वापसी कराई है. देवेंद्र फडणवीस ने सिर्फ छह महीने बाद ही 85% की शानदार स्ट्राइक रेट के साथ 132 सीटें जीतकर बीजेपी को महाराष्ट्र में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कराया है. उन्होंने सीएम की कुर्सी भी दोबारा हासिल कर ली है. चुनाव प्रचार के दौरान फडणवीस का पसंदीदा चुनावी नारा था, ‘मैं मॉडर्न अभिमन्यु हूं, मैं चक्रव्यूह तोड़ना भी जानता हूं, और जीतना भी जानता हूं.’
उद्धव-सुप्रिया की बोलती बंद
बीजेपी में कई लोग महाराष्ट्र में पिछले ढाई सालों में शिवसेना और एनसीपी में हुई टूट को देवेंद्र फडणवीस की रणनीति का नतीजा मानते हैं. हालांकि, फडणवीस हमेशा कहते रहे कि ये पार्टियां अपने नेताओं की वजह से टूटी हैं क्योंकि ये नेता अपने बेटे-बेटियों को ज्यादा तवज्जो देते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी नेता चुपचाप इन कलह को हवा देते रहे. आखिरकार, देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे और सुप्रिया सुले, दोनों को चित कर ही दिया.
मोदी-भागवत से फडणवीस का लगाव
भाजपा में देवेंद्र फडणवीस उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिनसे पीएम नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत दोनों का लगाव है. फडणवीस की जेब में हमेशा एक ट्रंप कार्ड रहा है- आरएसएस. आरएसएस यानी संघ विचारधारा में गहराई से जुड़े परिवार में जन्मे फडणवीस ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. उनके पिता का संगठन के साथ मजबूत और अटूट जुड़ाव था, जिसने एक वफादार स्वयंसेवक के रूप में उनकी छवि को और मजबूत किया. महाराष्ट्र के उतार-चढ़ाव भरे राजनीतिक माहौल में इसे काफी अहम कारक माना जाता है.
फडणवीस का आरएसएस संग रिश्ता
यह एक रिश्ता ऐसा है, जिसे फडणवीस सालों से सींचते आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद ‘वोट जिहाद’ के खिलाफ आरएसएस से मदद मांगना इसका एक उदाहरण है. महाराष्ट्र में चुनाव खत्म होने के बाद फडणवीस ने आरएसएस मुख्यालय में भागवत से मुलाकात की और चुनाव में मदद के लिए धन्यवाद दिया. जब भाजपाने रिकॉर्ड 132 सीटें हासिल कर लीं तो आरएसएस ने भाजपा को साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री के लिए फडणवीस उनकी पसंद हैं.
पीएम मोदी को फडणवीस पर भरोसा
पीएम मोदी को फडणवीस की जो बात सबसे अच्छी लगती है वो है बीजेपी के विचारों के प्रति उनकी अटूट निष्ठा और देश के सबसे समृद्ध राज्य के विकास और बुनियादी ढांचे के निर्माण के प्रति उनका समर्पण. 2019 तक सीएम रहते हुए फडणवीस ने ही नागपुर से मुंबई तक समृद्धि महामार्ग जैसी बड़ी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की कल्पना की और उन्हें लॉन्च किया. कोस्टल रोड, अटल सेतु और मुंबई में मेट्रो जैसी परियोजनाएं भी महायुति 2.0 में ही हकीकत बनीं.
फडणवीस का टाइम आ गया
पूरे चुनाव प्रचार में और इतनी बड़ी जीत के बाद भी देवेंद्र फडणवीस ने कभी सीएम की कुर्सी पर अपना दावा नहीं जताया. उन्होंने सीएम की कुर्सी का फैसला प्रधानमंत्री पर छोड़ दिया. मुंबई की जिंदादिली पर बनी फिल्म ‘गली बॉय’ के गाने की भाषा में कहें तो देवेंद्र फडणवीस हमेशा से मानते रहे कि ‘अपना टाइम आएगा’. अब फडणवीस का टाइम आ गया. कल यानी 5 दिसंबर को वह तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
December 4, 2024, 13:36 IST