ये किसान जैविक खाद इस प्याज की खेती में डाल रहे हे जोकि काफी अच्छी फसल हो गई हे
आज के आधुनिक युग में तेजी से बढ़ती पैदावार और कम समय में अधिक उत्पादन के लिए अधिकांश किसान रासायनिक खेती का सहारा ले रहे हैं. हालांकि, इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता में कमी और पर्यावरणीय नुकसान बढ़ रहा है. इसके विपरीत, जैविक खेती न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है. देश के कई हिस्सों में जैविक खेती के प्रति भ्रम के बावजूद, कुछ किसान इस विधि से अच्छा लाभ कमा रहे हैं. खंडवा जिले के ग्राम जामटी के किसान अशोक चौधरी इसका जीवंत उदाहरण हैं.
जैविक खेती का सफर
अशोक चौधरी पिछले पांच सालों से जैविक खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में किसानों को जैविक खेती के बारे में कई शंकाएँ रहती हैं. उन्हें लगता है कि इससे पैदावार कम होती है, जबकि यह पूरी तरह से गलत है. अगर खेत में सही समय पर गोबर खाद, गोमूत्र और छाछ का स्प्रे किया जाए, तो उत्पादन बढ़ता है. अशोक ने अपनी प्याज की पूरी फसल जैविक तरीके से तैयार की है, और यह रासायनिक खेती से कहीं बेहतर साबित हुई है. इसके कारण न केवल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि जमीन की उर्वरक क्षमता भी बनी हुई है.
लागत कम, मुनाफा ज्यादा
अशोक चौधरी का कहना है कि रासायनिक खेती से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी घटती है. रासायनिक खादों के इस्तेमाल से फसल पर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे कीटनाशक और अन्य रसायनों का अधिक उपयोग करना पड़ता है. इसके उलट, जैविक खेती में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है क्योंकि मिट्टी में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से लड़ने में मदद करते हैं. जैविक खेती से खेती की लागत कम होती है और किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है.
जैविक खेती का भविष्य
अशोक चौधरी का मानना है कि जैविक खेती आने वाले समय में कृषि का भविष्य हो सकती है. यह न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है, बल्कि उनकी जमीन की उत्पादकता को भी लम्बे समय तक बनाए रखती है. अशोक का उदाहरण दिखाता है कि यदि सही ढंग से जैविक खेती की जाए, तो यह किसी भी तरह से रासायनिक खेती से कम नहीं है, बल्कि कई मायनों में अधिक लाभकारी है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 10:36 IST