कमाल का है मुर्गा, इसको पालकर बन जाएंगे मालामाल, मटन से भी महंगा है इसका मांस, कड़कनाथ भी इसके आगे फेल
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कमाल का है मुर्गा, इसको पालकर बन जाएंगे मालामाल, मटन से भी महंगा है इसका मांस, कड़कनाथ भी इसके आगे फेल
बंगाली मुर्गे का पालन कर किसान हो सकता है मालामाल
अंकुर सैनी/सहारनपुर: अक्सर लोग मुर्गे का इस्तेमाल चिकन के रूप में करते हैं. लेकिन कुछ मुर्गे ऐसे भी होते हैं, जो कि खाने के साथ-साथ पूजा-पाठ में भी इस्तेमाल किए जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही मुर्गे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि दिखने में काले रंग का होता है, लेकिन इसको कम लोग ही पालना पसंद करते हैं. सहारनपुर में अभिमन्यु राजपूत नाम के युवक ने बंगाली मुर्गे का पालन शुरू किया है. दिखने में यह मुर्गा काले रंग का होता है. मां काली और भैरव सहित कई भगवानों की पूजा में इसका बली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. अन्य मुर्गे से यह मुर्गा 8 से 10 गुना अधिक महंगा होता है. यह मुर्गा काफी समझदार भी होता है. किसान अगर मुर्गी पालन में बंगाली मुर्गे को शामिल करें, तो अन्य मुर्गी पालन ब्रीड से अच्छा मुनाफा कमा सकता है. खाने की बात करें तो इस बंगाली मुर्गे का चिकन भी काफी स्वादिष्ट लगता है.
किसान इस मुर्गे का पालन कर कमा सकते हैं लाखों
अभिमन्यु राजपूत ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उनके पास कुछ अलग ही प्रकार का चमकदार काले रंग के बंगाली मुर्गे की ब्रीड है. बंगाली मुर्गा इतना समझदार है कि तीन से चार किलोमीटर का सफर तय कर वापस अपने घर पर आ जाता है. इसका पूजा-पाठ में अधिक इस्तेमाल किया जाता है. जबकि दाम की बात कर तो ढाई से ₹3000 एक मुर्गी के लग चुके हैं, लेकिन लगातार बढ़ रही डिमांड के चलते उसको अभी अभिमन्यु राजपूत बेच नहीं रहे हैं. अभिमन्यु का कहना है कि मां काली और भूरा देव की पूजा में इसको बली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. अगर इसको चिकन के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो इसका टेस्ट डिफरेंट होता है. यह प्रोटीन से भरपूर होता है. अभिमन्यु राजपूत ने पहले 20 से 30 बंगाली मुर्गी और मुर्गे पाल रखे थे, लेकिन अभी उनके पास 5 से 7 मुर्गे ही बचे हैं. लगभग 6 महीने में एक मुर्गा पूरे तरीके से तैयार हो जाता है. जिसका वेट 3 से 5 किलो होता है. वहीं इसका मीट मार्केट में हजार से ₹1500 किलो बिकता है
Tags: Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 11:15 IST