तंत्र शास्त्र के अनुसार किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है.
गया : काल भैरवाष्टमी का पर्व 23 नवंबर को है. इस दिन गया शहर के भैरव मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए भक्त पहुंचेंगे. बाबा भैरव की पूजा के बाद मुखदल व फरहि चढ़ा कर मन्नतें भी मांगेंगे. ऐसी मान्यता है कि इस दिन बाबा भैरव का दर्शन व पूजन से जीवन के हर कष्ट दूर होते हैं. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था. भगवान कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है. तंत्र शास्त्र के अनुसार किसी भी सिद्धि के लिए भैरव की पूजा अनिवार्य है. इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है.
बता दें कि धर्म की इस पावन नगरी गयाजी में बाबा भैरव के एक नहीं बल्कि 11 से अधिक स्वरूप विराजमान हैं. इनमें सबसे प्राचीन गोदावरी का रुद्र कपाल भैरव मंदिर है. इतिहासकारों ने गोदावरी भैरव मंदिर की बनावट गुप्त काल के प्रारंभिक समय करीब 1500 से 1600 ई. के बीच का बताया है. बताया जाता है कि गुप्त काल के मंदिर शिखर विहीन होते थे. दो द्वार होता था. द्वार के चौखट पर गंगा और यमुना की आकृति बनी होती थी. यह सारी चीजें गोदावरी स्थित रुद्र कपाल भैरव मंदिर में है. इसी से गणना की गई कि मंदिर गुप्त काल का है. यहां मंदिर के निर्माण में ईंट नहीं बल्कि पत्थर का प्रयोग किया गया है.
शहर के गोदावरी मोहल्ले में स्थित रुद्र कपाल भैरव का मंदिर तांत्रिकों के महातीर्थ में एक है. यह एक जागृत स्थल है. तंत्र, मंत्र व साधना का प्रमाणिक केन्द्र है. साधकों की साधना के लिए 24 घंटे मंदिर का द्वार खुला रहता है. भक्त भी भय नाश, ग्रह सकंट मुक्ति, कार्य सिद्धि व आपत्ति से मुक्ति के लिए बाबा भैरव की विशेष पूजा करते है.
भैरवाष्टमी के दिन यहां सैकड़ों भक्त बाबा भैरव के दर्शन व पूजन के लिए आते हैं. मंदिर के अध्यक्ष मंजीत कुमार ने लोकल 18 को बताया कि इस बार भैरवाष्टमी का पर्व 23 नवंबर को है. मंदिर में विराजमान रुद्र कपाल भैरव की विशेष पूजा रात्रि 12 बजे से शुरू होगी, जो देर रात्रि 02:30 बजे तक चलेगी. इस दिन सर्वप्रथम भगवान के चक्र की पूजा होगी, साथ ही महाभिषेक होगा.
गया के मंदिरों में इन रूपों में मौजूद हैं भैरव जी
1. गोदावरी: रुद्र कपाल गैरव
2. बांग्लास्थान मंदिर: बटुक भैरव
3. दुःखहरणी मंदिर: चंड भैरव
4. ब्राह्मणी घाट मंदिर: काल भैरव
5. विष्णुपद मंदिर: आनंद भैरव
6. मंगलागौरी मंदिर: मंगलेश्वर भैरव
7. भैरो मंदिर आजाद पार्क: बाल भैरव
8. बागेश्वरी मंदिर: रारू भैरव
9. शीतला मंदिर: शीतल भैरव
10. मल्लाहटोली : सतबैनी भैरव
11. श्मशान घाटः स्मशान भैरव
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 14:22 IST