कहीं उठने-बैठने का गलत तरीका वजन तो नहीं बढ़ा रहा?

5 days ago 2

हम किस तरह सोते हैं, उठते-बैठते हैं, चलते हैं, इन सब चीजों का तरीका बॉडी पॉश्चर कहलाता है. सही पॉश्चर पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देता है लेकिन अगर यह गलत हो तो पर्सनैलिटी का अट्रैक्शन खत्म हो जाता है. जिन लोगों का सही बॉडी पॉश्चर होता है, उनसे कई बीमारियां दूर रहती हैं. पर अगर लंबे समय तक पॉश्चर गलत रहे तो शरीर को बेडौल करने के साथ ही बीमार कर सकता है. 

रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है दबाव
अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार गलत बॉडी पॉश्चर रीढ़ की हड्डी पर दबाव बनाता है जिससे इसका नेचुरल कर्व प्रभावित होने लगता है. इस वजह से मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर हो सकता है. ऐसे लोगों की पीठ में दर्द रहना शुरू हो जाता है. गलत ढंग से उठने-बैठने से गर्दन और कंधों में भी दर्द होने लगता है. जो लोग लंबे समय तक एक ही जगह कुर्सी पर बैठे रहते हैं, उनके साथ ऐसा अक्सर होता है. 

पेट रहता है गड़बड़, वजन भी बढ़ता है
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार गलत पॉश्चर व्यक्ति को असहज कर सकता है. दरअसल इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है. गलत पॉश्चर से कब्ज, जलन, जी मिचलाना, एसिडिटी जैसी शिकायत हो सकती है. कुछ लोगों को ब्लोटिंग भी हो सकती है. गलत तरीके से उठने-बैठने से डाइजेशन की रफ्तार धीमी हो जाती है. इससे व्यक्ति सुस्त पड़ने लगता है और जब वह एक्टिव नहीं महसूस करता तो वर्कआउट भी नहीं करता. इससे वजन बढ़ने लगता है.

हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार ठीक बॉडी पॉश्चर से कॉन्फिडेंस बढ़ता है (Image- Canva)

असंतुलित होते हैं हॉर्मोन्स
अगर बॉडी में हॉर्मोन्स बैलेंस रहे तो वजन काफी हद तक नियंत्रित रहता है लेकिन गलत पॉश्चर से बॉडी पर स्ट्रेस बढ़ता है जिससे कॉर्टिसोल नाम का स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज होने लगता है. अगर इनका लेवल ज्यादा हो जाए तो पेट पर चर्बी जमने लगती है. गलत पॉश्चर से ब्रीथिंग प्रॉब्लम भी हो सकती है क्योंकि शरीर में कम ऑक्सीजन प्रवेश करती है. इससे बॉडी का मेटाबॉलिज्म गड़बड़ होने लगता है. 

इमोशनल ईर्टिंग बढ़ने लगती है
गलत तरीके से उठने-बैठने से चूंकि स्ट्रेस बढ़ जाता है तो व्यक्ति इमोशनल ईटिंग करने लगता है. यानी चिंता में ज्यादा खाने लगता है. कई बार बिंज ईटिंग यानी बेवक्त खाने की आदत बढ़ जाती है. ऐसा व्यक्ति भूख से ज्यादा खाना खाने लगता है. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर कहलाता है. सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार कई बार गलत पॉश्चर इंसान को डिप्रेशन का शिकार भी बना सकता है. 

सही पॉश्चर से बढ़ती है खुशी
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार जो लोग सही पॉश्चर में उठते-बैठते हैं, उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ने लगता है. इससे वह खुद पर अच्छे से कंट्रोल करने लगते हैं और एनर्जी महसूस करते हैं. जब इस हॉर्मोन का लेवल बढ़ता है तो कोर्टिसोल का स्तर घटने लगता है. इससे व्यक्ति खुश रहता है. 

ऐसे ठीक करें शरीर का पॉश्चर
फिजियोथेरेपिस्ट अनुपम शर्मा कहते हैं कि कभी भी झुककर नहीं खड़ा होना चाहिए.  कंधों को झुकाने से बेहतर है सीधे खड़े हों. कुर्सी पर झुक कर ना बैठे. हमेशा पीठ सीधी करते हुए चलें. कई बार लोगों को पता नहीं चलता कि वह झुक कर चलते हैं. यह जानने के लिए अपने परिवार या दोस्तों की मदद लें. हमेशा पीठ के बल सोएं लेकिन कुछ लोग पेट के बल सोने की गलती करते हैं जिससे उनकी पीठ में दर्द होने लगता है. ऑफिस में काम करते समय कंप्यूटर की स्क्रीन को अपनी गर्दन के लेवल तक करें. इससे गर्दन को ज्यादा ऊपर या ज्यादा नीचे झुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगा. देर तक एक जगह ना बैठें. हर आधे घंटे में कुर्सी से उठें और मसल्स को स्ट्रेच करें. 

कार चलाते समय सीट पर तकिया या टॉवेल को पीठ के पीछे रखना चाहिए (Image- Canva)

हील्स से करें तौबा
अक्सर लड़कियां ऊंची हील्स पहनकर चलती हैं. हील्स जहां चलते-चलते पैरों में दर्द करती हैं, वहीं बॉडी का संतुलन भी बिगाड़ती हैं. हील्स पहनने से एड़ी, घुटने और हिप्स प्रभावित होते हैं जिसका असर रीढ़ की हड्डी पर भी पड़ता है. हमेशा फ्लैट शूज या सैंडल्स पहनें. 

फोन पर देर तक बात करना ठीक नहीं
आजकल हर किसी के हाथ में स्मार्ट फोन है. फोन भी काफी हद बॉडी के पॉश्चर को खराब कर रहे हैं. दरअसल कई लोग घंटों तक गर्दन झुकाकर फोन पर बात करते हैं. इससे गर्दन की मांसपेशियों पर असर पड़ने लगता है. अगर फोन पर बात करनी है तो हेडफोन का इस्तेमाल करें लेकिन वह भी कुछ मिनटों तक. वहीं आजकल लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. लोग रात को बेड पर गर्दन झुकाए मोबाइल देखते रहते हैं. जो ठीक नहीं है. स्क्रीन टाइम एक दिन में 2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. और कॉल पर भी 15 मिनट से ज्यादा एंगेज नहीं होना चाहिए. अगर किसी की कॉलिंग की ही जॉब हो तो हर 15 मिनट में गर्दन को स्ट्रेच करें.    

Tags: Global health, Health, Heat stress, Mental diseases, Mobile Phone, New fashions

FIRST PUBLISHED :

November 18, 2024, 19:11 IST

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