किसानों को अपने खेत में वर्मी बेड इकाई लगाने पर मिलेगा 50 प्रतिशत तक अनुदान

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वर्मी बेडवर्मी बेड

सिरोही : कई किसान रसोई और अन्य जैविक कचरे को वर्मी कम्पोस्ट में बदलने के लिए अपने खेत में वर्मी बेड लगा रहे हैं. इससे तैयार खाद अत्यधिक उत्पादक जैविक खाद होती है. अब सरकार द्वारा इस प्रकार के वर्मी बेड खेत में लगाने पर 50 प्रतिशत या दस हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा.

गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के तहत सरकार की ओर से किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण व उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि किसानों का जैविक खेती की तरफ रुझान बढ़े. इस योजना का लाभ लेने के लिए काश्तकार के पास अपने नाम की जमीन होना और कम से कम 5 गोवंश होना जरूरी है. इस योजना में कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होने से योजना का लाभ लेने के लिए पूरे साल में कभी भी आवेदन किया जा सकेगा.

ऐसे करें आवेदन
योजना का फायदा लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. योजना का लाभ लेने के लिए किसान खुद भी राज किसान पोर्टल या ई-मित्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. इसमें आवश्यक दस्तावेजों में जमीन की नकल की प्रति, नक्शा ट्रेस होना जरूरी है. योजना के तहत आवेदन के बाद पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवेदन का निस्तारण किया जाएगा.

ऐसे तैयार करें वर्मी बेड
एक वर्मी बेड इकाई निर्माण साइज लंबाई-चौड़ाई 20 बाई 3 फीट व उंचाई 1.5 से 2 फीट तक होनी आवश्यक है या 2 वर्मी बेड का निर्माण करवाने पर 10 बाई 3 फीट व उंचाई 1 से डेढ़ फीट तक के 2 निर्माण करने होंगे. वर्मी बेड इकाई निर्माण के लिए ईंट, रेत, पत्थर, पानी और छाया वाली जगह की जरूरत होती है. इसमें लगने वाली मजदूरी और इसके लिए 8 से 10 किलोग्राम केंचुओं की व्यवस्था किसान को अपने स्तर पर करनी पड़ती है.

क्या होता है वर्मी बेड
वर्मी बेड आपके रसोई के कचरे और अन्य जैविक कचरे को वर्मीकंपोस्ट में बदलने के लिए बनाए जाते हैं, जो एक अत्यधिक उत्पादक जैविक खाद है. इस प्रक्रिया को वर्मीकंपोस्टिंग कहते हैं. इस कचरे को केंचुए भोजन के रूप में खाते हैं, और जैसे-जैसे यह सड़ता है, यह जैविक खाद में बदल जाता है. इस प्रक्रिया को कभी-कभी कृमि खाद कहा जाता है.

Tags: Local18, Rajasthan news, Sirohi news

FIRST PUBLISHED :

September 28, 2024, 22:21 IST

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