केले और पपीते की फसल के लिए महत्वपूर्ण होती है फरवरी, ऐसे करें देखभाल

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 03, 2025, 21:26 IST

समस्तीपुर में ठंड से पपीता और केला के पौधे रोगग्रस्त हो रहे हैं. डॉ. संजय कुमार सिंह ने बताया कि फरवरी में हल्की सिंचाई और उर्वरक से पौधों को पुनर्जीवित किया जा सकता है.

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वैज्ञानिक

वैज्ञानिक ने दी जानकारी 

समस्तीपुर : जनवरी महीने में ठंड की वजह से पपीता और केला की पौधा रोग ग्रस्त होने का किसानों द्वारा चर्चा किया जा रहा.आखिर बदलते मौसम में वैसे पौधों को पुनर्जीवित करने को लेकर लोकल 18 की टीम ने डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के वरीय वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार सिंह से बातचीत की उन्होंने बताया कि ठंड, शीतलहर और पाले के कारण इन फसलों का विकास रुक जाता है, बाग बीमार और रोगग्रस्त नजर आते हैं. इस प्रकार की ठंडक से बचाव के लिए किसानों को सही समय पर उचित उपाय करने की आवश्यकता है. फरवरी माह में तापमान बढ़ने लगता है, लेकिन फिर भी शीतलहर और ओस की संभावना बनी रहती है, जिससे इन पौधों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है.

यह वैज्ञानिक की सलाह
केले के पौधों में ठंड से होने वाले नुकसान और उनके समाधान के बारे में वैज्ञानिक ने बताया की ठंड से होने वाले प्रमुख नुकसान जैसे की पत्तियों का झुलसना अत्यधिक ठंड से पत्तियां पीली या भूरी होकर सूखने लगती हैं. तनों पर फटने और काले धब्बे आने लगते हैं यानी कि ठंड के प्रभाव से तने की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जिससे तना फटने लगता है. वहीं फल की वृद्धि पर असर जैसे कि कम तापमान के कारण केले का आकार छोटा रह जाता है और उनकी बढ़वार रुक जाती है. अधिक ठंड और नमी के कारण जड़ें प्रभावित हो सकती हैं.

पौधे को पुनर्जीवित के लिए फरवरी का महीना है काफी उपयुक्त
उन्होंने बताया कि ठंड से प्रभावित केले के पौधों के जले हुए पत्तों को काटकर हटा दें, ताकि नए पत्तों को विकास का अवसर मिले. हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे, लेकिन अत्यधिक पानी से बचें. फरवरी में तापमान बढ़ने के साथ, केले के पौधों की वृद्धि फिर से शुरू होती है. इस समय हल्की गुड़ाई करके प्रति पौधा 200 ग्राम यूरिया, 200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करें.

जैविक और रासायनिक से कर सकते हो उपचार
जैविक और रासायनिक उपचार(पोटेशियम नाइट्रेट या कैल्शियम नाइट्रेट का 1% छिड़काव करें. ठंढ से हुए तने के नुकसान को ठीक करने के लिए बोर्डो पेस्ट का लेप करें. ठंढ से होने वाले प्रमुख नुकसान जैसे कि पत्तियों और तने पर जलने के निशान होना, ठंड के कारण पत्तियां और तने झुलस सकते हैं. फलों की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है. जैसे की ठंढ से फल कठोर हो सकते हैं और उनका पकना प्रभावित हो सकता है. जड़ और तने की सड़न जैसी समस्या भी उत्पन्न होती है जैसे की ठंढ और नमी के कारण पपीते की जड़ों और तने में फफूंदजनित बीमारियां हो सकती हैं.

ऐसे करें फरवरी में ठंढ से बचाव के उपाय
प्रभावित पत्तियों को हटा दें, हल्की सिंचाई करें, और मल्चिंग करें ताकि मिट्टी का तापमान स्थिर रहे. उर्वरक और पोषण प्रबंधन में पपीते के पौधों को प्रति पौधा 100 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट दें. जैविक खादों का उपयोग करें ताकि मिट्टी में जीवांश तत्व बढ़ें. जैविक और रासायनिक उपचार कर सकते हैं. पत्तियों और तनों पर बोर्डो मिक्सचर या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें.तने में दरारें पड़ने पर नीम तेल या बोर्डो पेस्ट का प्रयोग करें.

Location :

Samastipur,Bihar

First Published :

February 03, 2025, 21:26 IST

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