Last Updated:February 07, 2025, 23:00 IST
Manish Bhatnagar News: इंडियन आर्मी के पूर्व मेजर मनीष भटनागर ने कारगिल युद्ध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया. मनीष भटनागर का कोर्ट मार्शल किया गया था.
हाइलाइट्स
- पूर्व मेजर मनीष भटनागर का किया गया था कोर्ट मार्शल
- कारगिल वॉर में इंडियन आर्मी पर ही उठा दिए थे सवाल
- पूर्व सैन्य अधिकारी ने SC में दायर की थी याचिका
नई दिल्ली. पूर्व मेजर मनीष भटनागर एक बार फिर से चर्चा में हैं. कारगिल युद्ध को लेकर इंडियन आर्मी पर सवाल उठाने वाले मनीष भटनागर का कोर्ट मार्शल कर दिया गया था. हाल के दिनों में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर साल 1999 के कारगिल युद्ध से पहले पाकिस्तान की घुसपैठ के संबंध में जानकारी पर कार्रवाई करने में सेना की ओर से चूक का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया. CJI जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘ज्यूडिशियरी आम तौर पर नेशनल सिक्योरिटी के मामले में नहीं जाती है…1999 के युद्ध में जो हुआ वह एग्जिक्यूटिव फैसले से जुड़ा आंतरिक मामला था.’ अब सवाल उठता है कि मनीष भटनागर कौन हैं?
कारगिल युद्ध न केवल द्रास, बटालिक, मुश्कोह और युद्ध के अन्य क्षेत्रों की बर्फीली चोटियों पर भारतीय सैनिकों की वीरता और दृढ़ता की याद दिलाती है, बल्कि इंटेलिजेंस और मॉनिटरिंग की विफलताओं को भी ध्यान में लाता है. पैराशूट रेजिमेंट (5 पैरा) की 5वीं बटालियन के पूर्व अधिकारी और पूर्व मेजर मनीष भटनागर ने घुसपैठ पता लगाने और उसके बाद ऑपरेशन के संचालन में इनसे निपटने के तरीके के संबंध में कई सवाल उठाए थे. मनीष भटनागर को साल 2001 में कोर्ट मार्शल किया गया और सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. उन्हें आदेश और सैन्य अनुशासन के प्रतिकूल काम करने का दोषी पाया गया था.
मनीष भटनागर पर गंभीर आरोप
मनीष भटनागर के खिलाफ सबसे गंभीर आरोप पाकिस्तानी सेना द्वारा कथित तौर पर कब्ज़ा किए गए एक ठिकाने पर हमला करने के लिए दिए गए आदेश की अवहेलना से संबंधित था. हालांकि, यह आरोप उनके कोर्ट मार्शल के दौरान साबित नहीं हो सका और मनीष भटनागर को इस मामले में उन्हें दोषी नहीं पाया गया. भटनागर ने अपने मुकदमे के दौरान दलील दी थी कि उन्होंने मई 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठ का पता चलने से काफी पहले ही इसकी सूचना दे दी थी. उनका कहना था कि इसके बावजूद, सेना के शीर्ष अधिकारियों ने उनकी चेतावनियों की अनदेखी की थी.
मनीष भटनागर की दलील
भटनागर का कहना था कि जनवरी-फरवरी 1999 में उन्होंने प्वाइंट 5770 पर दुश्मन की गतिविधि देखी और उसकी सूचना दी थी. यह सबसे उत्तरी और सबसे ऊंची चोटी थी जिसे बाद में 29 जून 1999 को ऑपरेशन विजय के तहत राजपूत रेजिमेंट की 27वीं बटालियन ने पाकिस्तानी सेना से फिर से हासिल कर लिया था. मनीष भटनागर ने कहा है कि जब वह प्वाइंट 5770 के करीब आमने-सामने की स्थिति में थे, तब उन्होंने बार-बार दुश्मन की गतिविधियों और गोलीबारी की सूचना दी थी. यहां तक कि उन्होंने दुश्मन के बंकर को भी देखा था और नियमित रूप से लिखित स्थिति रिपोर्ट, संदेश लॉग बुक और कमांड चैन में बातचीत के जरिए अपने तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर कर्नल ए के श्रीवास्तव को इसकी सूचना दी थी.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 07, 2025, 22:57 IST