शैलपुत्री देवी का महत्व
वाराणसी: शारदीय नवरात्री का आगाज हो गया है.नवरात्रि के पहले दिन जगत जननी मां जगदम्बा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री के पूजन का विधान है. माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है. इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. धार्मिक मान्यता है कि शक्ति उपासना के महापर्व के पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन और पूजन से जीवन के हर तरह के क्लेश और बाधाएं दूर होती हैं.
बताते चलें कि नवरात्र के प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थिर करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है.जिससे योग साधना आरंभ होती है. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि माता शैलपुत्री भगवान शिव की अर्धागिनी भी है.बात इनके स्वरूप की करें तो देवी पुराण में इनके स्वरूप का वर्णन मिलता है.मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान है.
पान के पत्ते का करें यह उपाय
नवरात्रि के पहले दिन इनके पूजन में हमे लाल अड़हुल या कमल के पुष्प का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा यदि पूजन के दौरान इन्हें भक्त सच्चे मन से पान के पत्ते पर सुपाड़ी, लौंग और मिश्री रखकर भोग लगाता है और उनकी पूजा करता है तो देवी अतिशीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है और इससे हर तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश भी हो जाता है.
इस मंत्र का करें जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इनके पूजन के दौरान, ‘ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥’ मंत्र का इक्कीस, इक्यावन या एक सौ आठ बार मंत्र जाप भी करना चाहिए. इससे सभी शक्तियों की सिद्धि होती है.
Tags: Durga Pooja, Local18, Navratri 2021
FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 09:42 IST
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