मुंबई: महाराष्ट्र में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है. आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले ही सभी गोटियां सेट करने में जुट चुके हैं. सत्तारूढ़ महायुती गठबंधन सीट शेयरिंग डील को लगभग फाइनल कर चुकी है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच सीटों पर सहमति बन गई है. कौन-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, लगभग यह भी फाइनल ही है, बस केवल कुछ सीटों पर बातचीत बाकी है. वह भी जल्द ही फाइनल हो जाएगा. महायुती गठबंधन में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है.
सूत्रों ने CNN-News18 को बताया कि महायुती में भाजपा ही बड़े भाई की भूमिका में होगी. भाजपा सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उसके बाद शिवसेना और NCP का नंबर होगा. सूत्रों ने बताया कि भाजपा 150 से 155 सीटों पर, शिवसेना 90-95 सीटों पर और एनसीपी 40-45 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. सीट शेयरिंग फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के लिए गठबंधन के नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि गठबंधन चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले सीट शेयरिंग के फॉर्मूला की घोषणा करने की स्थिति में होगा. सूत्रों ने कहा कि अधिक सीटों का बंटवारा पूरा हो चुका है. लगभग 25 सीटों पर चर्चा के कुछ और दौर की जरूरत होगी.
गठबंधन सहयोगियों यानी भाजपा, शिवसेना और एनसीपी ने कई सर्वे कराए हैं. किसी को भी टिकट देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानदंडों में से एक जीतने की क्षमता है. यह भी पता चला है कि मौजूदा विधायकों के मामले में केवल 5-10% सीटों पर ही बदलाव की उम्मीद है.
2019 के बाद से उतार-चढ़ाव
2019 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एकजुट थी. साथ ही, अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के साथ थे. मगर विधानसभा चुनावों के बाद से पिछले पांच सालों में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है. 2019 में बहुमत हासिल करने के बावजूद चुनाव परिणामों के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन नहीं टिक सका और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. नवंबर में सभी को चौंकाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ राज्य के सीएम के रूप में शपथ ली. अजित पवार डिप्टी सीएम बने थे. हालांकि, तीन दिन बाद दोनों ने इस्तीफा दे दिया और अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के पास वापस चले गए.
इसके बाद उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को हुए शक्ति परीक्षण के बाद सरकार बनाने के लिए शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. जून 2022 में उद्धव ठाकरे को तब बड़ा झटका लगा, जब उनकी पार्टी के एकनाथ शिंदे ने भाजपा संग मिलकर सरकार बनाने के लिए विधायकों के एक समूह के साथ NDA का दामन थाम लिया. एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया गया और फडणवीस उनके डिप्टी बन गए. कुछ महीनों बाद अजित पवार एक बार फिर नेताओं के एक समूह के साथ अपने चाचा से अलग हो गए और महायुति गठबंधन में शामिल हो गए और उन्हें फिर से डिप्टी सीएम बनाया गया.
सूत्रों के माध्यम से यह भी पता चला है कि तीनों दल कुछ नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कह सकते हैं, जिनमें वे नेता भी शामिल हैं जो या तो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं या पिछले लोकसभा चुनाव में मैदान में नहीं उतरे थे.
लोकसभा में मिली हार
क्योंकि लोकसभा चुनाव में महायुति को निराशा मिली थी, इसलिए इस बार पूरा फोकस जीत पर है. यही वजह है कि सीट शेयरिंग से लेकर टिकट बंटवारे पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. सत्ता विरोधी लहर के अलावा, हालिया लोकसभा चुनावों ने भी महायुति की चिंता बढ़ा दी है. लोकसभा चुनाव में मराठा मतदाताओं ने एनडीए का साथ छोड़ दिया, साथ ही पार्टी को अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित वर्गों के वोटों का भी नुकसान हुआ. 2024 के लोकसभा चुनावों में BJP ने 48 में से 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, पार्टी सिर्फ नौ सीटें ही जीत पाई, शिंदे की पार्टी ने सात और अजित पवार ने एक सीट जीती.
आगामी चुनावों में, शिंदे ठाणे से चुनाव लड़ना जारी रखेंगे, जबकि फडणवीस नागपुर से विधानसभा चुनाव लड़ते रहेंगे. राज्य में मौजूदा महायुति सरकार ने कई जनकल्याणकारी उपायों की घोषणा की है, जिसमें उनकी लाडकी बहन योजना भी शामिल है, जो एक परिवार की दो महिला सदस्यों को 1,500 रुपये प्रदान करती है. राज्य सरकार पहले ही तीन से अधिक किस्तें बांट चुकी है. राज्य भर में लगभग 2.5 करोड़ महिलाओं ने इस योजना के लिए पंजीकरण कराया है.
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FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 11:55 IST