Last Updated:January 19, 2025, 11:52 IST
इस पर बहुत से लोगों को यकीन नहीं होता है. लेकिन यह सच है कि पृथ्वी पर अरबों साल तक आग थी ही नहीं और वैज्ञानिकों को कहना है कि आग लग सके ऐसे हालात ही अरबों साल बाद बने. यह जानना बहुत ही रोचक...और पढ़ें
क्या आप मानेंगे कि पृथ्वी पर अरबों साल तक आग ही नहीं थी? लोग आमतौर पर इसे एक गप्प की तरह मानेंगे, वे पूछेंगे कि ऐसा हो कैसे सकता है? लेकिन जो लोग पृथ्वी के इतिहास को अच्छे से जानते हैं, वे इससे हैरान बिलकुल नहीं होंगे. जी हां, बिलकुल ऐसा ही था. पृथ्वी पर कुछ अरब साल का यह समय वाकई था और इस दौरान पृथ्वी पर कहीं भी आग नहीं थी. आइए जानते हैं कि इस क्या कहता है विज्ञान?
ज्वालामुखी और आग
पृथ्वी के इतिहास के मुताबिक इंसान अभी हाल ही में धरती पर आए हैं. उनसे पहले कोई भी जीव आग नहीं जला सकता था. लेकिन उसके अलावा भी आग लगती थी, जंगलों में आग तो इंसानों से पहले भी लगा करती थी. इसके अलावा ज्वालामुखी भी आग उगला करते थे. पर यही मानना मुश्किल है कि एक दौर ऐसा भी हो सकता है जब ज्वालामुखी भी पृथ्वी पर आग नहीं उगल सके होंगे.
केवल पृथ्वी पर आग
वैसे तो सौरमंडल में ही ऐसे ग्रह या पिंड कम हैं जहां आग संभव है. इनमें शुक्र ग्रह के अलावा बृहस्पति ग्रह का चंद्रमा आयो भी है जहां ज्वालामुखियों की सक्रियता की वजह से आग निकलती है. फिर भी वहां भी कभी आग नहीं रही. सौरमंडल में केवल पृथ्वी पर ही आग है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था.
पृथ्वी ही ऐसी जगह है जहां आग लगना संभव है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
यहां भी अरबों साल तक नहीं
हकीकत ये है कि पृथ्वी के इतिहास में अरबों सालों तक आग नहीं थी. और आग लग सके, ऐसे हालात बनने में ही अरबों साल लग गए. इससे पहले ज्वालामुखियों ने भले ही उबलते लावा उगल दिए हों, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ की इनसे असल में आग निकली हो. आग जलना जिसे कंबशन भी कहते हैं असल में एक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके कुछ तापमान बढ़ने जैसे कुछ भौतिक प्रभाव भी होते हैं. इसमें ज्वलनशील पदार्थ, पर्याप्त तापमान और ऑक्सीजन की जरूरत होती है.
ऑक्सीजन का भारी उत्पादन
करीब 2.4 अरब साल पहले पृथ्वी का वायुमंडल मीथेन की मोटी धुंध की तरह था. यह भी ग्रह के उभरते हुए बहुत ही महीन स्तर के जीवन का नतीजा था. इसके बाद ग्रेट ऑक्सीडेशन ईवेंट (GOE) की घटना घटी. इसमें साइनोबैक्टीरिया ने सूर्य की रोशनी की मदद से ऊर्जा पैदा करना शुरू किया, इससे वायुमंडल में भारी मात्रा में ऑक्सीजन जमा होने लगी. लेकिन यह मात्रा अभी इतनी भी अधिक नहीं थी जिससे आग की प्रक्रिया हो सके. GOE से पहले भले ही पृथ्वी पर भी ही जलने वाले पदार्थ हों या फिर पर्याप्त तापमान भी हो, लेकिन प्रक्रिया का जरूरी तत्व ऑक्सीजन नदारद था.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन बहुत अधिक मात्रा में बनने के बाद ही आग लगना संभव हो सकता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
पर तब ऑक्सीजन नहीं थी काफी
GOE को कभी-कभी ऑक्सीजन आपदा के रूप में जाना जाता है. इसने पूरी पृथ्वी को ही गहरी ठंड में डुबो दिया था. इसका कारण ये था कि इस ऑक्सीजन ने मीथेन को हटा कर एक तरह से साफ ही कर दिया और इसके ग्रीनहाउस प्रभाव को खत्म कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि पृथ्वी ठंडी हो गई, साथ ही ऑक्सीजन होने के बावजूद पृथ्वी बिना आग के ही रह गई.
आग लगने या ना लगने के हालात
वैज्ञानिकों के पास आग का पहला फॉसिल रिकॉर्ड अरबों साल बाद मध्य ऑर्डोवियन काल से आता है. आग लगने के मामले में हालात कुछ ऐसे होने चाहिए. 13 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन कम होने पर पौधे पदार्थ जलेंगे नहीं. वहीं 35 प्रतिशत से अधिक होने पर यह इतनी अच्छी तरह से जलेगा कि जंगल खुद को विकसित और बनाए रखने में काबिल नहीं रह जाएंगे.
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पहली आग के सबूत
47 करोड़ साल पहले ऑर्डोविशियन काल में, पहले जमीन पौधों, काई और लिवरवॉर्ट्स, ने अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन किया. इसका नतीजा यह हुआ कि वातावरण में अपने आप में आग लगाने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बनने लगी. आखिरकार, लगभग 42 करोड़ साल पहले, हमारे पास पृथ्वी पर आग का पहला जीवाश्म सबूत बना, जो कुछ और नहीं बल्कि इस अवधि से चट्टानों में पाया जाने वाला लकड़ी का कोयला ही है.
ऑक्सीजन के स्तर में अभी भी बेतहाशा उतार-चढ़ाव होने के कारण, पहली व्यापक जंगली आग करीब 38.3 करोड़ साल पहले तक नहीं लगी थी. और तब से आग लगना एक वास्तविक झटका या हादसे की तरह होता रहा है. कुल मिला कर 42 करोड़ साल पहले तक पृथ्वी पर आग नहीं थी और 38 करोड़ साल पहले समय से ही आग लगना से दुनिया अच्छे से परिचित हुई
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 19, 2025, 11:51 IST