क्या गोमूत्र हेल्थ के लिए अच्छा है? IIT डायरेक्टर के विवादास्पद बयान पर बवाल

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Last Updated:January 23, 2025, 18:26 IST

IIT Madras Directors Cow Urine Statement: आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटि ने गोमूत्र के एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और पाचन लाभों का दावा किया, जिससे विवाद छिड़ गया. कई लोगों ने इसे फेक साइंस बताया, जबकि क...और पढ़ें

क्या गोमूत्र हेल्थ के लिए अच्छा है? IIT डायरेक्टर के विवादास्पद बयान पर बवाल

वी. कामकोटि के बयान पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. हालांकि, कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया.

हाइलाइट्स

  • आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर ने गोमूत्र के लाभों का दावा किया
  • डायरेक्टर वी. कामकोटि के बयान पर देशभर में छिड़ी बहस
  • कई लोगों ने इसे फेक साइंस बताया, कुछ ने समर्थन किया

IIT Madras Directors Cow Urine Statement: आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी. कामकोटि ने गोमूत्र को लेकर जो दावा किया है, उस पर देश भर में एक बहस छिड़ गई है. उन्होंने 15 जनवरी 2025 को एक कार्यक्रम में गोमूत्र के एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और पाचन को लेकर फायदों के बारे में बताया था. उन्होंने यह भी दावा किया कि गोमूत्र का सेवन करने से पाचन की समस्या जैसे कि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीए) का इलाज संभव है. आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर द्वारा गोमूत्र के मेडिसिनल वैल्यू का समर्थन करने के बाद बहस शुरू हो गई है. वी. कामकोटि के बयान पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. हालांकि, कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया.

गाय के मूत्र को लेकर अक्सर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आती रही हैं. जहां इसके समर्थक दावा करते हैं कि इससे स्वास्थ्य को लाभ होता है, वहीं इसके विरोधियों ने संदेह जताते हुए इसे फेक साइंस बताया है. लेकिन क्या ऐसे दावों का कोई आधार है?

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क्या कहा था कामकोटि ने
आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने 15 जनवरी को तमिलनाडु के चेन्नई में मातु पोंगल के अवसर पर ‘गो संरक्षण’ कार्यक्रम में यह बात कही थी. उसके बाद उनके बयान वाला वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा खड़ा हो गया. उन्होंने दावा किया था कि गोमूत्र में पाचन संबंधी लाभ के साथ-साथ ‘एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण’ होते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) जैसी स्थितियों का इलाज कर सकता है.

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बयान की हुई आलोचना
वी. कामकोटि के बयान की काफी आलोचना हुई और कई लोगों ने इसे फेक साइंस करार दिया. फर्स्टपोस्ट इंग्लिश की एक रिपोर्ट के मुताबिक द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीकेएस एलंगोवन ने बयान की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश में शिक्षा को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम ने भी आईआईटी मद्रास के निदेशक पर निशाना साधते हुए उन पर फेक साइंस फैलाने का आरोप लगाया. डॉक्टर्स एसोसिएशन फॉर सोशल इक्वैलिटी के डॉ. जी.आर. रविन्द्रनाथ ने गोमूत्र के सेवन के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इससे जीवाणु संक्रमण हो सकता है. तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख के. अन्नामलाई ने वी. कामकोटि का बचाव किया. उन्होंने आलोचकों पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर को अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने का अधिकार है. अन्नामलाई ने कहा कि उन्होंने किसी को भी गोमूत्र का सेवन करने के लिए नहीं कहा है. 

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कहा, मैं साबित कर दूंगा
विवाद बढ़ने पर कामकोटि ने अपने बयान का बचाव किया. इंडिया टुडे के अनुसार, उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं अमेरिका में किए गए पांच रिसर्च पेपर को आप सभी के सामने रखूंगा, जिसमें यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया गया है कि गोमूत्र में लाभकारी तत्व हैं. यह वैज्ञानिक रूप से ठीक है.” इस मुद्दे ने एक बार फिर पारंपरिक भारतीय औषधियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिनके लाभ आधुनिक विज्ञान में अभी तक सिद्ध नहीं हुए हैं.

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क्या फायदेमंद है गोमूत्र?
गाय हिंदू धर्म में एक पूजनीय पशु है. आयुर्वेद ने लंबे समय से गोमूत्र के चिकित्सीय इस्तेमाल की तारीफ की है. हालांकि, आधुनिक विज्ञान में ऐसे दावों को साबित करने वाले बहुत कम सबूत हैं. गोमूत्र के समर्थकों ने दावा किया है कि इससे कैंसर, मधुमेह और तपेदिक सहित कई बीमारियों का इलाज हो सकता है. हालांकि, डॉक्टरों ने ऐसे दावों को बढ़ावा देने के खिलाफ चेतावनी दी है. एक डॉक्टर ने 2014 में एबीसी न्यूज को बताया, “मुझे लगता है कि मैं यह कहने में पूरी तरह से सहज हूं कि मुझे ऐसे किसी डेटा की जानकारी नहीं है जो यह बताता हो कि गाय का मूत्र कैंसर के इलाज या रोकथाम में कोई काम करता है.” इंटरनेशनल ब्राजीलियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में 2013 में पब्लिश एक स्टडी में दावा किया गया था कि गोमूत्र चूहों में गुर्दे की पथरी के विकास को रोकने में मदद कर सकता है. कोविड-19 महामारी के दौरान गुजरात में कुछ लोग अपने शरीर को गाय के गोबर और मूत्र से ढकने के लिए गौशालाओं में जा रहे थे, इस उम्मीद में कि इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी.

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आईएमए ने दी थी चेतावनी
हालांकि, उस समय डॉक्टरों ने ऐसी प्रथाओं के खिलाफ चेतावनी दी थी. रॉयटर्स के अनुसार, उस समय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जेए जयलाल ने कहा था, “इस बात का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि गाय का गोबर या मूत्र कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है, यह पूरी तरह से विश्वास पर आधारित है. इन उत्पादों को लगाने या खाने से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी हैं. अन्य बीमारियां पशुओं से मनुष्यों में फैल सकती हैं.”

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

January 23, 2025, 18:26 IST

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