क्या भारत विभाजन के लिए मछली का कारोबार भी था जिम्मेदार? जानें वजह

3 hours ago 1

Last Updated:January 22, 2025, 19:29 IST

क्या मछली का कारोबार भी भारत के विभाजन की एक वजह बनी थी? इस सवाल के पीछे भी इतिहास में छिपी एक दिलचस्प कहानी है. मोहम्मद अली जिन्ना के दादा प्रेमजी भाई ठक्कर ने मछली के कारोबार में उतरने का फैसला किया था. इस एक...और पढ़ें

क्या भारत विभाजन के लिए मछली का कारोबार भी था जिम्मेदार? जानें वजह

हाइलाइट्स

  • जिन्ना के दादा मछली कारोबार के कारण जाति से बहिष्कृत हुए.
  • धार्मिक बहिष्कार के कारण जिन्ना के परिवार ने इस्लाम अपनाया.
  • 'जिन्ना' सरनेम पूंजालाल के गुजराती निकनेम 'जिन्नो' से लिया गया था.

क्या मछली का कारोबार भी भारत के विभाजन की एक वजह बनी थी? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने कुछ अरसा पहले इसका दावा किया था. डॉ. अहमद के मुताबिक मोहम्मद अली जिन्ना के दादा प्रेमजी भाई ठक्कर ने आज से करीब डेढ़ सौ या पौने दो सौ साल पहले गुजरात के तटवर्ती कस्बे वेरावल में मछली के कारोबार में उतरने का फैसला किया था. प्रेमजी भाई ठक्कर विशुद्ध शाहाकारी समुदाय ‘लोहाना’ से ताल्लुक रखते थे. उनके इस फैसले से नाराज लोहाना समुदाय ने उन्हें अपनी जाति से बहिष्कृत कर दिया था.

जाति से निकाले जाने के बाद प्रेमजी कराची चले गए और वहां रहकर वे एक धनी व्यापारी बन गए. अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर उन्होंने अपने समुदाय में शामिल होने की बहुत कोशिश भी की, लेकिन उन्हें स्वीकार नहीं किया गया. हालांकि इस समय तक तक वे मछली का कारोबार छोड़ चुके थे. इस बात से प्रेमजी और उनके बेटे पूंजालाल ठक्कर इतने नाराज और व्यथीत हुए कि उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया.

पूंजालाल (1857–1902) ने अपने सरनेम में ‘जिन्ना’ शब्द लगा लिया और बेटों को मुस्लिम नाम देने शुरू कर दिए. ‘जिन्ना’ सरनेम पूंजालाल के गुजराती निकनेम ‘जिन्नो’ से लिया गया था, जिसका अर्थ ‘दुबला-पतला’ होता है.

कुछ विद्वानों का मानना है कि जिन्ना के दादा और पिता ने दो बार धर्म परिवर्तन किया था. पहले वे इस्माइली संप्रदाय में गए और फिर शिया पंथ में शामिल हो गए.

डॉ. शकील अहमद का यहां तक कहना था कि अगर प्रेमजी और पूंजालाल को धार्मिक एवं सामाजिक बहिष्कार का सामना न करना पड़ता तो शायद उन्होंने इस्लाम न अपनाया होता. और हो सकता, देश को विभाजन की त्रासदी भी ना झेलनी पड़ती, जिसमें लाखों लोग मारे गए थे. यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर रेफ्युजीस (UNHCR) के एक अनुमान के मुताबिक विभाजन की हिंसा के कारण 1.4 करोड़ लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा था.

डॉ. शकील अहमद के अनुसार भारत में कई मुस्लिम आक्रांता आए, लेकिन किसी ने भी इसे विभाजित करने की कोशिश नहीं की. परंतु जिन्ना के अवचेतन में असंवेदनशील और कठोर जाति व्यवस्था से बदला लेने का संकल्प बना रहा. इस तरह भारत को बांटने की इच्छा रखने वाले अंग्रेजों को जिन्ना के तौर पर एक मनमाफिक सहयोगी मिल गया, जिन्होंने उनकी इस आकांक्षा को लगातार पोषित किया.

जिन्ना के गिने-चुने वंशजों में एक प्रमुख नाम नुस्ली वाडिया का लिया जा सकता है. जिन्ना और उनकी पारसी पत्नी रत्ती पेटिट की एकमात्र संतान दीना वाडिया थीं, जिनका कुछ साल पहले ही 2 नवंबर 2017 को निधन हुआ था. उनके पिता जिन्ना ने भले ही पाकिस्तान का निर्माण करवा लिया, लेकिन बेटी दीना ने भारतीय नागरिकता बरकरार रखी. दीना ने नेविल वाडिया से विवाह किया था, जो एक पारसी परिवार में जन्मे थे और बाद में ईसाई धर्म अपना लिया था. माना जाता है कि जिन्ना इस विवाह से बेहद नाराज हुए थे.

शीला रेड्डी की किताब “मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना – द मैरिज दैट शुक इंडिया’ के अनुसार दीना के पारसी-ईसाई से विवाह करने का निर्णय जिन्ना के लिए एक गंभीर सियासी शर्मिंदगी का सबब बन गया था. किताब में कहा गया है, “उन्होंने (दीना को) समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वह फैसले पर अडिग रहीं तो जिन्ना ने उन्हें त्यागने तक की धमकी दे डाली. लेकिन झुकने के बजाय दीना अपनी दादी के घर चली गईं और शादी करने के लिए अटल बनी रहीं.’

रेड्डी ने उर्दू के मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो को उद्धृत करते हुए कहा कि जिन्ना ने दीना की इस बगावत को दिल पर ले लिया. मंटो ने जिन्ना की मानसिक स्थिति का जिक्र करते हुए लिखा था: “दो हफ्तों तक उन्होंने किसी आगंतुक से मुलाकात नहीं की. वे बस सिगार पीते रहते और कमरे में चहल-कदमी करते रहते. उन दो हफ्तों में ही उन्होंने सैकड़ों मील की दूरी तय कर ली होगी.’

दीना और नेविल वाडिया कथित तौर 1943 में अलग हो गए, लेकिन उनका औपचारिक तलाक कभी नहीं हुआ.

दीना के लिए जिन्ना एक स्नेही पिता थे, लेकिन उन्हाेंने अपने स्नेह को कभी सार्वजनिक नहीं किया. दीना उन्हें ‘पॉप’ (Pop) कहकर बुलाती थीं, लेकिन गुस्से में “ग्रे वुल्फ’ (भूरा भेड़िया) कहती थीं. 9 सितंबर 1948 को जिन्ना के इंतकाल पर वे बॉम्बे से एक चार्टर्ड विमान से कराची पहुंची थीं. अपने पिता के जनाज़े में उन्हें विलाप करते देखा गया था. मार्च 2004 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एक क्रिकेट मैच को देखने वे लाहौर भी गई थीं.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

January 22, 2025, 19:29 IST

homeknowledge

क्या भारत विभाजन के लिए मछली का कारोबार भी था जिम्मेदार? जानें वजह

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article