मुंबई: महाविकास अघाड़ी में महाराष्ट्र हार के साइड इफेक्ट अब दिखने लगे हैं. करारी हार के बाद अब महाविकास अघाड़ी में दरार के संकेत दिखने लगे हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद उद्धव वाली शिवसेना के भीतर से अब महाविकास अघाड़ी से अलग होने की आवाज उठने लगी है. अब सवाल है कि क्या शरद पवार और राहुल गांधी से उद्धव ठाकरे का मोह भंग हो गया? क्या बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे को अपनी गलती का एहसास हो रहा है? क्या वह सच में महाविकास अघाड़ी का साथ छोड़ेंगे? क्या उद्धव गुट की शिवसेना महाविकास आघाड़ी से अलग होगी?
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद अब शिवसेना में यह आवाज उठने लगी है कि अब उद्धव ठाकरे को महाविकास आघाड़ी से अलग हो जाना चाहिए. शिवसेना के तमाम कार्यकर्ता अभी यह मांग करने लगे हैं कि अब उद्धव ठाकरे को महा विकास आघाड़ी से अलग हो जाना चाहिए और अकेले महाराष्ट्र में फिर से खड़े होने की जरूरत है. पर इस मामले में अभी तक उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर से किसी भी बड़े नेता ने यह बात नहीं बोली है. खुद उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने अभी तक कोई भी अलग होने का फैसला नहीं लिया है.
शिवसेना के भीतर दबी जुबान से इस मांग के उठने की वजह भी है. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के साथ शिवसेना को फायदा कम और नुकसान अधिक हुए हैं. सीटों की संख्या भी लगातार घटती ही जा रही है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट को 20 सीटों पर जीत मिली है. वहीं कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को केवल 10 सीटें मिली हैं. जबकि करीब छह माह पहले लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाढ़ी गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया था.
महाराष्ट्र विधानसभा में महाविकास अघाड़ी की करारी हार से शिवसेना चिंतित नजर आ रही है. यही वजह है कि आने वाले चुनाव के लिए शिवसेना पूरी प्लानिंग में जुट चुकी है. सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना एकला चलो रे नीति अपना सकती है. लोकल चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना और उनके नेताओं ने एक खाका तैयार किया है. उद्धव गुट की शिवसेना लोकल चुनाव में अलग रास्ते पर चलने का संकेत दिया है.
सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र चुनाव चुनाव में शिवसेना के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर नेताओं ने उद्धव ठाकरे से से बीएमसी चुनाव अपने दम पर लड़ने की गुजारिश की है. उद्धव गुट के एमएलसी अंबादास दानवे के मुताबिक, कुछ नेताओं और पदाधिकारियों का कहना है कि पार्टी को अपने दम पर खड़ा होने की जरूरत है. ऐसे में उसे सभी स्थानीय निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ना चाहिए. पार्टी नेताओं की इस मांग पर उद्धव ठाकरे जल्द फैसला ले सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 28, 2024, 14:50 IST