उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में हुए अग्निकांड और उसमें 10 बच्चों की दर्दनाक मौत की घटना ने देश को चौंका दिया है. शुक्रवार देर रात 10 बजे वार्ड में अचानक आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई. आग लगने की वजह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग बताई जा रही है जिससे विस्फोट हो गया और पूरे वार्ड में आग फैल गई. मरने वाले सभी बच्चे इन्क्यूबेटर में थे. ऐसे में एनआईसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं जो जांच का एक गंभीर विषय होगा. आइए जानते हैं कि एनआईसीयू में ये इन्क्यूबेटर क्या होता है और नवजात शिशुओं के लिए क्यों अहम होता है?
एक असामान्य नवजात की जरूरत
अस्पताल में शिशुओं का जन्म कई बार असामान्य स्थिति में हो जाता है, उनका जन्म निर्धारित समय से पहले हो जाता है और वे मां के गर्भ के वातावरण का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते हैं. ऐसे में उनकी देखभाल के लिए खास तरह के वातावरण की जरूरत होती है. इसलिए एक ऐसे कृत्रिम उपकरण की जररूत होती है जो उनके आसपास उनके अनूकूल माहौल दे सके जिसमें पर्याप्त तापमान और ऑक्सीजन आदि बनी रह सके.
क्या होता है इनक्यूबेटर?
इनक्यूबेटर को शिशुओं के रहने के लिए ऐसे ही सुरक्षित, नियंत्रित स्थान प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा खास तौर से प्रीमैच्योर डिलिवरी वाले बच्चों के जरूरी हो जाता है, जबकि उनके महत्वपूर्ण अंग विकसित हो रहे होते हैं. एक साधारण पालने के विपरीत, एक इनक्यूबेटर एक ऐसा वातावरण प्रदान करता है जिसे आदर्श तापमान के साथ-साथ ऑक्सीजन, आर्द्रता और प्रकाश की सही मात्रा प्रदान की जा सके और जरूरत पड़ने में उसने बदलाव भी किया जा सके.
इनक्यूबेटर खास तौर से जन्म से कुछ हफ्ते से लेकर कुछ महीने पहले तक पैदा होने वाले शिशुओं के लिए उपयोगी होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इसीलिए खास वार्ड की जरूरत
जाहिर है इसके लिए अलग से वार्ड बनाने की जरूरत होती है जो सामानय आईसीयू से कुछ ज्यादा सुविधाओं वाला होते हैं जिसे न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट यानी एनआईसीयू कहते हैं. एनाईसीयू खास तौर से ऐसे तैयार किया जा सके जिससे इनक्यूबेटर का संचालन आसान हो सके. झासी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में ही आग ली थी.
क्या क्या करता है इनक्यूबेटर
इनक्यूबेटर बच्चे के आसपास की जलवायु को ही नियंत्रित नहीं करता है. इसके अलावा, इनक्यूबेटर एलर्जी, कीटाणुओं, अत्यधिक शोर और प्रकाश के स्तर से सुरक्षा प्रदान करता है जो शिशु को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नमी को काबू करने की इनक्यूबेटर की क्षमता बच्चे की त्वचा को बहुत अधिक पानी खोने और फटने से भी बचाती है. इनक्यूबेटर में बच्चे के तापमान और हृदय गति सहित कई चीजों को ट्रैक करने के लिए उपकरण शामिल हो सकते हैं. यह निगरानी नर्सों और डॉक्टरों को लगातार बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति पर नज़र रखने की मौका देता है, लेकिन साथ ही बच्चों को दवा देने, इंजनेक्शन देने या ड्रिप देने को सटीक और सरल बनाता है.
इनक्यूबेटर देख कर कई लोगों को शिशु की हालत और चिंता जनक लगने लगती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कितने तरह के इनक्यूबेटर
जरूरत के मुताबिक तीन प्रमुख प्रकार के इनक्यूबेटर मिलते हैं- ओपन इनक्यूबेटर, क्लोज्ड इनक्यूबेटर और ट्रांसपोर्ट इनक्यूबेटर. हर एक को अलग-अलग फायदे और सीमाओं के साथ थोड़ा अलग तरीके से डिज़ाइन किया गया है. ओपन इन्क्यूबेटर का खास मकसद शिशु को सही और आसपास से अधिक तापमान देना होता है. जिसमें ऊष्मा का आदान प्रदान करने के लिए इसे खुला रखा जाता है.
FIRST PUBLISHED :
November 16, 2024, 10:36 IST