प्रतीकात्मक तस्वीर
पश्चिम चम्पारण. आज के इस आधुनिक दौर में खेती का तरीका बदल रहा है. खेती-किसानी में अब नई मशीनों का ख़ूब उपयोग किया जा रहा है. यह किसानों के लिए समय और पैसा, दोनों की बचत के दृष्टिकोण से बहुत सहायक हो रही है. ‘हैप्पी सीडर’ भी ऐसा ही एक मशीन है. ज़िले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत, कृषि वैज्ञानिक डॉ चेल्पुरी रामुलू बताते हैं कि हैप्पी सीडर मशीन किसानों के लिए बहुत ही सुपर मशीन है. इसके इस्तेमाल से एक साथ तीन काम हो सकता है. इस मशीन के इस्तेमाल से किसानों का न केवल पैसा और समय बचेगा बल्कि पराली जलाने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.
नहीं रहेगी खेतों को तैयार करने की चिंता
जानकार बताते हैं कि ‘सुपर सीडर मशीन’ किसानों के लिए बड़े ही काम की चीज है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये एक साथ कई काम करती है. जब भी किसानों को गेहूं, चना या किसी अन्य फसल की बुवाई करनी हो तो, खरीफ फसल की कटाई के बाद खेत की सफाई सहित उसे तैयार करने की चिंता किए बिना, इस मशीन की मदद से अन्य फसलों की बुवाई का काम शुरू कर सकते हैं.
सफाई, जुताई तथा बुवाई…एक साथ होता है तीनों काम
धान की कटाई करने के बाद जो पराली बचती है या फिर दूसरे फसल की जो पराली रहती है, यह मशीन उसे बिना नष्ट किए खेतों में ही मिला देती है. इससे पराली जलाए बिना ही खेतों की सफाई एवं जुताई का काम पूरा हो जाता है. इसमें सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल लगा रहता है जिससे खाद और फसल की बराबर मात्रा में बुवाई होती है. मशीन के पीछे एक खास रोलर लगा होता है, जो मिट्टी को दबाने का काम करता है, जिससे बेहतर तरीके से बुवाई का काम भी पूरा हो जाता है. मतलब एक साथ में यह मशीन तीन काम पूरा करती है.
बीज सहित प्रति हेक्टेयर 40 लीटर डीजल की बचत
बकौल रामुलू, हैप्पी सीडर मशीन साधारण सीड ड्रिल की तरह ही होता है. आप इसे खेत के रकबे के अनुसार ले सकते हैं. इस मशीन में जुताई करने के लिए ब्लेड या पंजी लगी होती है जो सिर्फ आधा इंच की होती है. यह ब्लेड धान के बचे डंठलों के बीच गेहूं की बुवाई में मदद करती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि परंपरागत तरीके से की जाने वाली बुवाई में जहां प्रति एकड़ 52 किलो बीज की आवश्कता पड़ती है, वहीं हैप्पी सीडर मशीन के ज़रिए बुवाई करने में प्रति एकड़ सिर्फ 40 किलो बीज की ही आवश्कता पड़ेगी. इतना ही नहीं, इसके ज़रिए आप प्रति हेक्टेयर 40 लीटर तक डीज़ल की बचत भी कर सकते हैं.
Tags: Agriculture, Local18, Wheat crop
FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 19:23 IST