Agency:News18 Bihar
Last Updated:January 21, 2025, 18:58 IST
Wheat Yellowness : ठंड में गेहूं की फसल में पीलापन आना और आलू में झुलसा रोग लगना एक आम बात है, किसान इन दोनों से काफी परेशान रहते हैं, अगगर आप भी परेशना हैं तो यहां जानिए कृषि एक्सपर्ट से उपाय...
छपरा में अत्यधिक ठंडी पड़ने से किसानों की बढ़ी चिंता
छपरा : ठंड में हर किसी का हाल बेहाल हो जाता है फिर वह इंसान हो पशु-पक्षी या फसल. ऐसे में किसान को अपनी फसल बचाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अत्यधिक ठंड का प्रकोप जारी है, जिसका असर रवि और आलू के फसल पर देखा जा रहा है. रवि की फसल पीली पड़ रही, जिससे किसान काफी परेशान है. ऐसे में रबी फसलों की पाला से बचाव अति आवश्यक है. रवि और आलू के फसल अधिक ठंड से पीला हो रहा है, जिसको बचाने के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं.
फसल के बचाव को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉक्टर विनायक, जिला कृषि पदाधिकारी श्याम बिहारी सिंह और पौधा संरक्षण उपनिदेशक राधेश्याम कुमार द्वारा एक एडवाईजरी जारी की है, जिसमें जिले के किसानों को सलाह दी गई है कि शीतलहर एवं ठंड से फसल की सुरक्षा के उपाय करें. रबी की फसलों को शीतलहर एवं पाले से काफी नुकसान होता है. जब तापक्रम 5-7 डिग्री सेंटीग्रेट से कम होने लगता है तब पाला पड़ने की पूर्ण संभावना होती है.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार ने बताया कि हवा का तापमान जल जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये, दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है. साधारणतय: तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है. परन्तु, यही इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला अवश्य पड़ता है. जो फसलों के लिए नुकसानदायक साबित होता है.
बताया कि जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे दें. जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा, और फसलों को पाला से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. सिंचाई करने से 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती हैं. बताया कि पाले से सबसे अधिक नुकसान सब्जियों की नर्सरी में होता है.नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दिया है. ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता है और पौधे पाले से बच जाते हैं.
पॉलीथिन की जगह पर तिरपाल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे. अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में रात में 12 बजे धुंआ पैदा कर दें.
जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है, जिस दिन पाला पड़ने की सम्भावना हो तब 400 मिलीलीटर सल्फर अर्थात गंधक को 400 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रेयर पम्प से छिड़काव किसान भाई कर सकते हैं.
इसके साथ ही अगर नैनो यूरिया की 5-6 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से (अर्थात 100 मिली लीटर प्रति नैप्सेक यंत्र 16 लीटर क्षमता वाली ) इसी सल्फर वाली घोल के साथ घोल बनाकर फसलों पर छिडकाव करेंगे तो आपके फसलों पर पाला का प्रभाव नही पड़ेगा.ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे.
सल्फर का करें छिड़काव
छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है. कहा कि यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो सल्फर अर्थात गन्धक घोल को 15-15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें. जो किसान पछात किस्म की गेंहू की प्रजाति लगाए है और प्रथम सिंचाई का समय आ गया है तो 20-25 ग्राम प्रति कट्ठा की दर से सल्फर 90% डब्ल्यूडीजी पाउडर को दानेदार यूरिया के साथ मिला दे और साथ मे जिंक 33% पाउडर 5 ग्राम प्रति कट्ठा की दर से उसी यूरिया के साथ 1 एकड़ में छीटे और उसके के बाद सिंचाई करें. जिन्हें नैनो यूरिया के साथ छिड़काव करना है दर सल्फर और जिंक का वही रहेगा, सिर्फ ड्रोन से छिड़काव के समय दर में परिवर्तन होगा और एक एकड़ के लिए जितने उर्वरक का डोज है वही रहेगा. सिर्फ पानी मात्रा 10 लीटर हो जाती है ड्रोन से छिड़काव में और मिलाकर किसान भाई स्प्रे कर सकते हैं. ऐसे करने पर किसान भाइयों का फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा.
Location :
Chapra,Saran,Bihar
First Published :
January 21, 2025, 18:58 IST
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