मेहसाणा: गुजरात, खासकर उत्तर गुजरात में, रबी फसल के दौरान गेहूं की खेती (Wheat cultivation) का प्रमुख स्थान है. किसान सर्दियों में गेहूं की बुवाई पर अधिक ध्यान देते हैं. हालांकि, गेहूं की खेती में दीमक की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर उभरती है, जिससे उत्पादन में भारी कमी हो सकती है.
कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह
मेहसाणा के खेड़वा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. रमेशभाई पटेल ने बताया कि उत्तर गुजरात में गेहूं की खेती प्रमुख है. लेकिन किसानों को दीमक की समस्या से निपटने के लिए शुरुआत से ही कदम उठाने चाहिए. यदि किसान बुवाई के समय गेहूं के बीजों पर दवा की परत लगाते हैं, तो इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है.
दवा का उपयोग कैसे करें?
डॉ. पटेल के अनुसार, बाजार में उपलब्ध क्लोरपायरीफोस 20% ईसी को 90-100 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर 20 किलो गेहूं के बीजों को उपचारित करना चाहिए. यह प्रक्रिया बुवाई से 7-8 घंटे पहले की जानी चाहिए ताकि दवा का पूरा प्रभाव मिल सके.
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समस्या के बाद उपाय
यदि फसल के तीसरे या चौथे सिंचाई के बाद दीमक की समस्या दिखे, तो किसानों को 700-800 मिली क्लोरपायरीफोस 20% ईसी को पानी में मिलाकर हल्की सिंचाई करनी चाहिए. इसे बालू के साथ मिलाकर खेत में छिड़काव भी किया जा सकता है.
सावधानी और लाभ
दवा की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है ताकि फसल की वृद्धि पर कोई असर न पड़े. समय पर दवा का उपयोग न केवल दीमक को रोकता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को भी बनाए रखता है. इस तकनीक को अपनाकर किसान अपनी फसल को दीमक से सुरक्षित कर सकते हैं और उपज में वृद्धि कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 15:13 IST