गोवा के तर्ज पर वेस्ट मेटेरियल का होगा डिस्पोज, जानें बीएयू का प्लान

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सांकेतिक तस्वीरसांकेतिक तस्वीर

भागलपुर. किसानों की उन्नति के लिए काम करने के बाद अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय प्रदेश को स्मार्ट बनाने की पहल कर रहा है. बता दें कि गोवा के तर्ज पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय वेस्ट मैनेजमेंट का मॉडल विकसित करने पर काम कर रहा है.  इससे बिहार की सफाई व्यवस्था में सुधार होगा. बीएयू ने कचरे से खाद बनाने के लिए पहल शुरू कर दी है. इसके अलावा अन्य प्रकार के कचरे को डिस्पोज करने की योजना पर काम जारी है. खासकर कृषि के क्षेत्र से निकलने वाले अपशिष्ट वातावरण के लिए हानिकारक होते जा रहा है, क्योंकि लोग इसको जलाकर वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन, बीएयू अब इसको सही करने में लगा हुआ है, ताकि बिहार में बदलाव हो सके.

वेस्ट मेटेरियल का बीएयू करेगा मैनेजमेंट

बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि बिहार में वेस्ट मेटेरियल एक बड़ा मुद्दा है. खासकर अगर कृषि अपशिष्ट की बात करें तो, इसको डिस्पोज करना एक बड़ी समस्या बन चुकी है, क्योंकि बिहार में इसको जलाया जाता है. इससे पर्यावरण  को नुकसान होता है. हालांकि इसका विशेष ख्याल रखते हुए  अब मैनेजमेंट करने का निर्देश दिया गया है. इसको लेकर बीएयू ने टीम को गोवा भेजा था. जहां से सारी व्यवस्था और टेक्नोलॉजी सीखकर आए हैं. अब इसका प्रयोग बिहार में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कचरा के साथ-साथ पराली एक बड़ी समस्या है. जब भी खेतों के अपशिष्ट बचते हैं तो, किसान जल्द खेत में फसल की बुवाई के लिए उसमें आग लगा देते हैं. लेकिन, इससे कितनी हानि होती है यह किसान नहीं समझते हैं. आग लगाने से खेतों में उपज देने वाली कीट भी खत्म हो जाती है, जिससे उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है.

खेतों में आग लगाने से उर्वरा शक्ति होती है क्षीण

बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि किसान खेत में पराली जलाने के लिए आग लगा देते हैं, इससे उर्वरा शक्ति बर्वाद हो जाती है और पैदावार कम होने का डर बना रहता है. खेतों के अपशिष्ट को किस तरीके से डिस्पोज किया जाए, इस पर बीएयू बेहतर तरीके से काम करेगा. इतना ही नहीं शहर से निकलने वाले कचरे को भी खत्म करने की पहल की जा रही है. आपको बता दें कि भागलपुर शहर से रोजाना तीन टन से अधिक कचरा निकलता है. इसको डिस्पोज करना निगम के लिए एक चुनौती बनकर रह गई है. जिसके कारण चंपा नदी की स्थिति धीरे-धीरे खत्म होती चली गई. वहीं अब गंगा के किनारे इसको डंप किया जा रहा है, जिससे गंगा भी दूषित हो रह रही है. इसके बाद भी निगम की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.

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FIRST PUBLISHED :

November 24, 2024, 14:54 IST

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