चित्रकूट की पितृ पक्ष अमावस्या का राम से है संबंध, ऐसे ही नहीं आते लाखों लोग

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रिपोर्ट- विकाश कुमार

चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली रही है. यहां भगवान राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. ऐसे में धर्मनगरी में पितृपक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है. कल पड़ने वाली पितृपक्ष की अमावस्या में लाखों की संख्या में श्रद्धालु रामघाट के तट पर पहुंचते हैं. जिला प्रशासन ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है और जगह-जगह श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया है.

श्री राम ने किया था पिता का पिंडदान
आपको बता दें कि धर्म नगरी चित्रकूट में कल पितृ पक्ष की अमावस्या है. इस अवसर पर दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु चित्रकूट के रामघाट पहुंचते हैं और मां मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना कर अपने पितरों का तर्पण करते हैं. इसके बाद कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर भगवान कामतानाथ का दर्शन करते हैं. मान्यता है कि जब राम वनवास काल में चित्रकूट आए थे तो उनको अपने पिता का स्वर्गवास होने की जानकारी मिली. तब उन्होंने रामघाट के तट से बहने वाली मां मंदाकिनी नदी से अपने पिता का पिंडदान किया था. तभी से यहां लाखों लोग पितृ पक्ष की अमावस्या पर आते है.

महंत ने दी जानकारी
चित्रकूट के महंत दिव्य जीवन दास ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया की इस परंपरा की शुरुआत श्रीराम के माध्यम से हुई है. भगवान राम ने खुद अपने पिता का श्राद्ध और पिंडदान का कार्य चित्रकूट में किया था. इसलिए यहां पितृ पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है. उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए यहां पर आज भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध, पिंडदान करने के लिए आते हैं.

जिला प्रशासन ने तैयारी की पूरी
अमावस्या मेले के संबध में चित्रकूट डीएम शिव शरण अप्पा ने जानकारी देते हुए बताया की कल पितृपक्ष की अमावस्या को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है. श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

Tags: Local18

FIRST PUBLISHED :

October 1, 2024, 22:14 IST

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