जानें कौन हैं दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन, कॉलेजियम ने क्यों की सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन की सिफारिश

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Justice manmohan and VK Saxena- India TV Hindi Image Source : PTI जस्टिस मनमोहन (बाएं) दिल्ली के राज्यपाल वीके सक्सेना (दाएं)

उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने केंद्र से दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन को संभवत: शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की है। उच्चतम न्यायालय के सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने हाल में एक बैठक की एवं न्यायमूर्ति मनमोहन को उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत करने की सिफारिश करने का निर्णय किया। इस कॉलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति हरिकेश रॉय और न्यायमूर्ति ए एस ओका शाामिल हैं। 

उच्चतम न्यायालय में फिलहाल प्रधान न्यायाधीश समेत 32 न्यायाधीश हैं। शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की मान्य संख्या 34 है। न्यायमूर्ति हीमा कोहली और पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत होने के बाद शीर्ष अदालत में दो रिक्तियां हो गयी हैं। इन्हीं दोनों पदों को भरने के लिए कॉलेजियम ने एक नाम जस्टिस मनमोहन का सुझाया है।

16 दिसंबर को रिटायर होने वाले थे जस्टिस मनमोहन

जस्टिस मनमोहन 16 दिसंबर 2024 को रिटायर होने वाले थे। संविधान के अनुसार हाई कोर्ट के जज के रिटायर होने की उम्र 62 साल है और 16 दिसंबर को जस्टिस मनमोहन 62 साल के हो जाएंगे। हालांकि, यदि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन मिल जाता है तो वह अगले तीन साल तक सेवा दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल होती है। ऐसे में जस्टिस मनमोहन की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में होने पर वह 2027 तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे।

कौन हैं जस्टिस मनमोहन

न्यायमूर्ति मनमोहन ने 29 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय के 32 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उससे पहले नौ नवंबर, 2023 को उन्हें इसी न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति मनमोहन (61) दिवंगत जगमोहन के बेटे हैं। जगमोहन नौकरशाह थे और बाद में राजनीति में आ गये थे। जगमोहन ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल और दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। 

2008 में दिल्ली हाई कोर्ट का हिस्सा बने थे 

न्यायमूर्ति मनमोहन को 13 मार्च, 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 17 दिसंबर, 2009 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था। जब उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, तब वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी और वह 1987 में वकील के रूप में पंजीकृत हुए थे। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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