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पटना. बिहार के शिक्षक ट्रांसफर-पोस्टिंग के नए नियमावली से भड़के शिक्षक अभी शांत भी नहीं हुए थे कि शिक्षा विभाग का एक और आदेश आग में घी जैसा काम कर रहा है. शिक्षा विभाग के नए आदेश के अनुसार स्कूल अवधि में शिक्षकों के लिए जींस और टी-शर्ट पहनने पर रोक लगाई गई है. इस फैसले ने शिक्षकों के बीच नाराजगी और बढ़ा दी है. जहां कुछ शिक्षक संघों ने इस कदम का समर्थन किया है, वहीं कई शिक्षक इसे अव्यवहारिक बता रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर तय ड्रेस के लिए वित्तीय सहायता कौन देगा?
“जींस नहीं तो लूंगी चलेगी?”
शिक्षा विभाग के इस नए आदेश पर शिक्षक लखन कुमार ने लोकल 18 को अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “जींस हमारे लिए एक सरल और टिकाऊ विकल्प है. यह किफायती भी है और एक बार धो देने से दो तीन दिनों तक चल जाता है. अगर सरकार चाहती है कि हम बेहतर कपड़े पहनें, तो हमें इसके लिए भत्ता मिलना चाहिए.” उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा, “अगर जींस नहीं पहन सकते, तो क्या लूंगी पहनकर स्कूल आ जाएं?”
“हम सम्मान करते हैं, आप भी करिए”
लखन कुमार ने आगे कहा, “विभाग के आदेशों में निरंतरता और स्पष्टता का अभाव है. अगर जींस और टी-शर्ट में स्कूल नहीं आ सकते, तो क्या हम लूंगी और कुर्ता पहन लें? पदाधिकारी हमें हमारे पद और गरिमा के अनुसार ट्रीट करें. हम आपका सम्मान करते हैं, आप हमारा भी करिए”.
ड्रेस कोड के लिए वित्तीय सहायता अनिवार्य
बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा, “शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड की मांग हमने लंबे समय से की है. इसके लिए न केवल ड्रेस बल्कि आईडी कार्ड गले में पहनना भी अनिवार्य होना चाहिए. हालांकि, अन्य सरकारी विभागों की तरह शिक्षकों को भी इसके लिए भत्ता दिया जाना चाहिए ताकि वे इस आदेश का पालन कर सकें. यदि शिक्षक एक निर्धारित ड्रेस में विद्यालय जाएंगे, तो यह समाज में उनकी सकारात्मक छवि बनाएगा और बच्चों के लिए प्रेरणादायक होगा”.
क्या है शिक्षा विभाग का आदेश
शिक्षा विभाग के निदेशक सह अपर सचिव ने सभी डीईओ को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि शिक्षक और कर्मी विद्यालयों में केवल औपचारिक परिधान (Formal Dress) में ही उपस्थित हों. कैजुअल ड्रेस, जैसे जींस और टी-शर्ट पहनकर स्कूल आने की अनुमति नहीं होगी. विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस आदेश का सख्ती से पालन करवाया जाएगा.
शिक्षकों के बीच इस नए आदेश को लेकर विरोध और समर्थन के सुर सुनाई दे रहे हैं. लेकिन ड्रेस के लिए भत्ता मिलें, यह मांग सबकी है. अब यह देखना होगा कि सरकार इस दिशा में आगे क्या कदम उठाती है, और क्या शिक्षकों की वित्तीय सहायता की मांग पर कोई कार्रवाई होती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 15:53 IST