पहाड़ों पर धान की कटाई कैसे होती है?
बागेश्वर: पहाड़ों में आज भी कई कार्य पारंपरिक तरीकों से किए जाते हैं, जो लोगों को आधुनिक तरीकों से ज्यादा आनंदित करते हैं. ऐसा ही एक पारंपरिक तरीका धान की कटाई से जुड़ा हुआ है. जहां अन्य स्थानों पर आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ गया है, वहीं पहाड़ों में महिलाएं अब भी पारंपरिक दराती का उपयोग करते हुए धान की कटाई करती हैं. इस प्रक्रिया में एक विशेष आनंद और संतोष होता है, जो महिलाओं को इस कार्य से जुड़ा रखता है.
लोकल 18 से बातचीत में स्थानीय महिला हेमा ने बताया कि उन्हें दराती से धान काटने में आधुनिक मशीनों की तुलना में अधिक आनंद आता है. पहाड़ों में महिलाएं एक-दूसरे की मदद से इस कार्य को करती हैं और साथ ही पारंपरिक गीत भी गाती हैं. ये गीत न केवल काम की थकान को कम करते हैं, बल्कि उत्साह भी बढ़ाते हैं. कई बार महिलाएं इन गीतों पर थिरक भी उठती हैं, जिससे काम के दौरान भी एक खुशहाल माहौल बनता है.
पारंपरिक तरीके से धान कटाई की विधि
धान की पारंपरिक कटाई में महिलाएं तीन से चार पौधों को बाएं हाथ में पकड़कर, दाएं हाथ से दराती की मदद से उन्हें जड़ से काटती हैं. कटे हुए पौधों को पीछे की ओर छोटे ढेरों में रखा जाता है. इस प्रकार पूरे खेत के धान काटे जाते हैं. जब सभी पौधे कट जाते हैं, तो उन्हें गोल आकार में एक बड़े ढेर में सजाया जाता है, जिसे पहाड़ी भाषा में “कुन्यूण” कहा जाता है. इस विधि में धान की बालियां अंदर की ओर छुपाई जाती हैं और जड़ों वाला हिस्सा बाहर दिखता है. इसे एक रात ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, और अगले दिन धान की मड़ाई की जाती है.
महिलाओं की पसंद क्यों है यह पारंपरिक तरीका?
पहाड़ की महिलाएं इस पारंपरिक विधि से धान की कटाई करने में माहिर हैं. वे बचपन से इस कार्य में संलग्न रही हैं, इसलिए इस विधि में उन्हें एक विशेष आत्मीयता और अनुभव का भाव महसूस होता है. हालांकि, इस प्रक्रिया में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे भारी धूप में काम करना, समय पर भोजन न मिल पाना, लेकिन इसके बावजूद वे इस पारंपरिक तरीके से धान की कटाई करना ही पसंद करती हैं. उनका मानना है कि यह उनकी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का एक माध्यम है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 17:46 IST