जीरो-ब्रोकरेज खत्म! कोटक नियो के बाद शून्या ने भी खड़े किए हाथ, एल्गो और महंगा

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हाइलाइट्स

शून्या और कोटक नियो ने ज़ीरो-ब्रोकरेज मॉडल खत्म किया.इंट्राडे और F&O ट्रेड्स पर अब शुल्क लगेगा.डिलीवरी ट्रेड्स पर ज़ीरो-ब्रोकरेज जारी रहेगा.

नई दिल्ली. जीरो ब्रोकरेज पर ट्रेड करने का आपने खूब आनंद ले लिया. अब ऐसा नहीं होगा. ‘शून्या’ और ‘कोटक नियो’ जैसे बड़े और मशहूर ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं और शुल्क संरचना में बदलाव का ऐलान कर दिया है. ये दोनों प्लेटफॉर्म जीरो-ब्रोकरेज ट्रेडिंग के लिए मशहूर हुए थे और बहुत से ट्रेडर इनके साथ काम कर रहे थे. कुल मिलाकर यदि आप इन प्लेटफॉर्म्स पर शेयर बाजार की ट्रेडिंग करते हैं तो अब आपको ज्यादा लागत चुकानी होगी.

मनीकंट्रोल के मुताबिक, कमिशन-फ्री ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म ‘शून्या’ ने 2 दिसंबर 2024 से अपने ज़ीरो-ब्रोकरेज मॉडल को खत्म करने का फैसला लिया है. इसी के साथ ही अपने चार्जेज के बारे में बताते हुए कंपनी की ओर से कहा गया है कि हर एक्टिव ट्रेडर से वार्षिक मेंटेनेंस चार्ज (AMC) के तौर पर 499 रुपये प्रति वर्ष + GST लिया जाएगा. इंट्राडे, F&O और कमोडिटी ट्रेड्स पर 5 रुपये प्रति ऑर्डर + GST लिया जाएगा. API ट्रेडिंग के लिए 1,999 रुपये प्रति माह + GST का चार्ज अप्लाई होगा. बता दें कि एल्गो ट्रेडिंग एपीआई के जरिए हो सकती है. निवेशकों के लिए राहत की खबर है कि शून्या ने डिलीवरी ट्रेड्स, ETFs, बॉन्ड्स, IPOs, और म्यूचुअल फंड्स पर ज़ीरो-ब्रोकरेज बनाए रखने का वादा किया है.

कोटक नियो का नया स्ट्रक्चर
शून्या के इस कदम से पहले 4 नवंबर 2024 को ‘कोटक नियो’ ने भी इंट्राडे ट्रेड्स पर 10 रुपये प्रति ऑर्डर ब्रोकरेज लागू किया था. साथ ही कोटक ने अन्य शुल्कों में भी बदलाव किया था. उसने स्टॉक डिलीवरी चार्ज 0.20 फीसदी, F&O ट्रेड्स के लिए 10 रुपये प्रति ऑर्डर लागू किया था. कोटक सिक्योरिटीज के डिजिटल बिजनेस हेड आशीष नंदा ने कहा कि बढ़ती लागत और बाजार के बदलते हालात के कारण यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया था.

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रेगुलेटरी बदलावों से मजबूर हैं ब्रोकिंग फर्म्स
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा हाल ही में एक्सचेंज रिबेट्स (Exchange Rebate) खत्म करने और वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की शुरुआत के कारण ब्रोकरेज कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है. इसी के चलते कई प्लेटफॉर्म्स फ्लैट-फीस मॉडल अपनाने पर मजबूर हो रहे हैं. आशीष नंदा ने कहा, “लंबे समय तक ज़ीरो-ब्रोकरेज मॉडल टिकाऊ नहीं है. 20 रुपये भी कई कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकता है.”

शून्या और कोटक नियो जैसे प्लेटफॉर्म्स रेगुलेटरी बदलावों और टेक्नोलॉजी की बढ़ती लागत के चलते अपनी रणनीतियों को बदल रहे हैं. हालांकि, ट्रेडर्स को इन बढ़ते खर्चों को ध्यान में रखते हुए अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को फिर से तैयार करना होगा.

Tags: Share market, Stock market

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 12:11 IST

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