बस्तर के जंगल में मिलती है जड़ी बूटियां
रायपुर. छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, अपनी सांस्कृतिक विरासत और घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है. इन जंगलों में केवल जैव विविधता ही नहीं, बल्कि जड़ी-बूटियों का खजाना भी छिपा है. यहां की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, जिसे स्थानीय वैद्य पीढ़ियों से अपनाते आ रहे हैं, आज भी कई गंभीर बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है. स्थानीय वैद्य दमा यानी अस्थमा जैसी जटिल समस्या के लिए प्रभावी इलाज करते हैं. बस्तर के सुदूर अंचल में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियों से बनी औषधि मरीजों को राहत प्रदान करती है.
बैंगलोर यूनिवर्सिटी के प्रमाणित वैद्य मनीसिंग कावड़े ने लोकल 18 को बताया कि दमा रोग के मरीजों को सांस लेने में काफी समस्या होती है. दमा दम के साथ जाता है. यह हार्ट का इंफेक्शन है. दमा रोग सर्दी खांसी से शुरू होता है. इसमें दम घुटने का बहुत ज्यादा चांस रहता है.
बस्तर के जंगलों में मिल जाती है अस्थमा की औषधि
एलोपैथिक चिकित्सा में जिंदगी भर इसका दवा खाना पड़ता है. लेकिन, आयुर्वेद में ज्यादा से ज्यादा तीन-चार महीने के भीतर दमा यानी अस्थमा रोग ठीक हो जाता है. छत्तीसगढ़ स्थित बस्तर के सुदूर जंगलों में इसके इलाज के लिए जड़ी-बूटियां पाई जाती है. प्रमाणित वैद्य मनीसिंग कावड़े स्वयं जाकर इन जड़ी-बूटियों को चुनकर लाते हैं और दमा रोगियों को देते हैं. बेहतर परिणाम तीन से चार महीने के भीतर मिल जाता है. रोगियों को दवाई पाउडर रूप में दिया जाता है. इसके अलावा बस्तर का दवाई जो महुआ के अर्क से बनता है उसमें चित्रक जड़ी का उपयोग करते हैं. इसे ड्राप के रूप में दिया जाता है. हार्ट या गले में जो बलगम फंसता है वह तुरंत साफ हो जाता है. यह अचूक औषधि है.
आयुर्वेद में सैकड़ों बीमारी की होती है एक दवा
मनीसिंग कावड़े ने बताया कि आयुर्वेद में सैकड़ों बीमारी की एक दवा होती है. ज्यादातर बीमारियां वात, पित्त और कफ की वजह से होती है. आयुर्वेद के ये तीन दोष हैं, जो हमारे शरीर और मन की प्रकृति को नियंत्रित करते हैं. इन दोषों के असंतुलन से बीमारियां उत्पन्न हो सकती है. दमा में कफ का मात्रा ज्यादा होने से सर्दी खांसी होता है. साथ ही वायु दोष भी होता है. कफ और वायु दोष के कारण दमा होता है. इसकी कमी या अधिकता से जो बीमारी होती है, उसकी प्रतिपूर्ति बस्तर की इस खास जड़ी बूटियों से किया जाता है. शरीर में जिसकी कमी है, उसकी पूर्ति प्राकृतिक तरीके से जड़ी-बूटियों की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 19:39 IST
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