उत्तराखंड के पारंपरिक ज्वैलरी की डिमांड बढ़ी
देहरादून: उत्तराखंड की संस्कृति बेहद पुरानी है और पहाड़ों में पहने जाने वाले आभूषणों की भी एक अलग ही पहचान होती है. नथ, पौंछी, ग्लुबंद, तुंगल, तिलहरी, तिमनिया, झुमकी महिलाओं को बेहद आकर्षित करती हैं. आधुनिकता के दौर में हर जगह बदलाव आया है, आभूषणों के बाजार में भी नए-नए तरह के डिजाइन देखने को मिलते हैं. लेकिन मौजूदा समय में युवतियों को भी अब ये आभूषण पसंद आने लगे हैं. वर्तमान समय में उत्तराखंड की सर्राफा दुकानों में इन पुराने डिजाइन के आभूषणों की डिमांड बढ़ी है. नई ट्रेंड के ज्वेलरी को अब पुराने खूबसूरत डिजाइन के आभूषण टक्कर दे रहे हैं.
युवतियों में बढ़ने लगी पुरानी डिजाइन की ज्वेलरी में रुचि
शादियों का सीजन है, ऐसे में सर्राफा दुकानों में खासा भीड़ देखी जा रही है. इन दुकानों पर नए-नए तरह की ज्वेलरी मिल रही है. लेकिन अब युवतियों को उत्तराखंड के पौराणिक आभूषण पसंद आने लगे हैं. इसलिए बाजार में इसकी डिमांड देखी जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर के आखिरी सप्ताह और दिसंबर माह में पूरे भारत में तकरीबन 42 लाख शादियां हैं. ऐसे में कुमाऊं का ग्लुबंद, टिहरी की नथ, जौनसार का तुंगल और रानी हार की डिमांड बढ़ गई है. युवतियां पुराने आभूषणों को लेकर उत्साहित दिखाई दे रही हैं.
इस ज्वेलरी की डिमांड बढ़ी
देहरादून जिले के विकासनगर में मौजूद कमल ज्वैलर्स के मैनेजर मामराज पुण्डीर बताते हैं कि बाजार में बहुत तरह के डिजाइन उपलब्ध हैं. बावजूद इसके मौजूदा समय में हमने देखा कि ज्यादातर युवतियों को पुराने जमाने के आभूषण पसंद आ रहे हैं. कई बार तो स्पेशल डिमांड पर ये आभूषण हमसे बनवाए जाते हैं. यहां तक कि वो अपनी दादी या मां के पुराने आभूषण पहनी हुईं फोटो लाकर वैसे ही ज्वेलरी की मांग करती हैं. इनमें तिमनिया, तिलहरी, तुंगल जैसे आइटम प्रमुख हैं.
टिहरी नथ, रानीहार भी लड़कियों को पसंद
काजल ठाकुर, कमल ज्वैलर्स में मौजूद सेल्स गर्ल बताती हैं कि उत्तराखंड के आभूषण अपने आप में बेहद खूबसूरत होते हैं. ऐसे में एक नया ट्रेंड मार्केट में देखने को मिल रहा है. जब हम किसी युवती को नई डिजाइन की ज्वेलरी दिखाते हैं तो वे अक्सर पुराने ट्रेडिशनल आभूषण का ज़िक्र करती हैं और वही दिखाने की बात कहती हैं. इनमें टिहरी की नथ, रानीहार, झुमकी युवतियों द्वारा ज्यादा पसंद की जा रही हैं.
पौंछी, तिलहरी और झुमकी को लेकर क्रेज
पूनम तोमर बताती हैं कि कुमाऊं और गढ़वाल में चलने वाली तिमनिया और ग्लुबंद को लेकर युवतियों में क्रेज है. शादियों के ज्वैलरी की खरीददारी करने वाली युवतियां पौंछी, तिलहरी, झुमकी और पुराने तरह के बिछुये और पायल की डिमांड करती हैं.
जानें इनके बारे में
नथ(नथुली): यह सोने से बनाई जाती है. उत्तराखंड में मांगलिक कार्यों में मुख्यतौर पर महिलाएं इसे पहनती हैं. नथुली उत्तराखंड की विशेष पहचान है.
ग्लुबंद: इसे मुख्यत: कुमाऊं की महिलाएं पहनती हैं, जो सोने का बनता है. इसे भी मांगलिक कार्यों जैसे-विवाह में पहना जाता है.
पौंछी: यह एक तरह के पुराने जमाने के सोने के कड़े थे. इसमें छोटे-छोटे सोने के मोती जड़े होते हैं. पुराने समय में इन्हें इस्तेमाल किया जाता था, जो आज फिर भी प्रचलित हो रहे हैं.
तिमनिया, रानी हार औरतुंगल: ये उत्तराखंड के जौनसार बाबर की संस्कृति का एक हिस्सा हैं. यहां की महिलाएं इन्हें आभूषणों के तौर पर इस्तेमाल करती हैं. इसके कई तरह के डिजाइन होते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 10:21 IST